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यहां सवाल यह उठता है कि आखिर लोमड़ी का इतने मील तक दूरी तय करने का पता कैसे चला। गौरतलब है कि नॉर्वेजियन पोलर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने साल 2017 में इस लोमड़ी के गले में एक ट्रैकिंग कॉलर लगाया था। शोधकर्ताओं ने ऐसा इसलिए किया था ताकि वे इस प्रजाति की स्थिति के बारे में अध्ययन कर सकें। लोमड़ी को ट्रैक करने पर पता चला कि वह महीनों तक पश्चिमी स्पिट्सबर्गेन के समुद्र तट के किनारे रही।
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शोधकर्ताओं द्वारा छापी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक लोमड़ी स्पिट्सबरगेन छोड़कर लगभग 939 मील की यात्रा करने के बाद 16 अप्रैल 2018 को ग्रीनलैंड पहुंची और वहां से 1 जुलाई को कनाडा तक की यात्रा की। अध्ययन में पता चला कि एक व्यस्क आर्कटिक लोमड़ी से युवा लोमड़ी 1.4 गुना तेज होती है। इनका मोटा फर इन्हें -50 सेल्सियस से -58 डिग्री फारेनहाइट तापमान से बचने में मदद करता है।