क्या कहता है शोध
दरअसल, एक अध्ययन बताता है कि सिगरेट का फिल्टर धरती के साथ पर्यावरण ( Environment ) की भी दशा-दिशा को गंभीर रूप से खराब कर रहा है। सिगरेट के फिल्टर में लगा फिल्टर सेल्युलोज एसीटेट फाइबर से बना होता है, जो एक तरह का बॉयोप्लास्टिक होता है। इसको गलने में दशकों लग जाते हैं। लिहाजा लंबे समय तक इसमें मौजूद रसायन धरती की उर्वरा शक्ति को दीमक की तरह चाटते रहते हैं। ऐसे में उस मिट्टी में बीज अंकुरित नहीं होते हैं और अगर बीज अंकुरित हो भी जाते हैं तो उनका विकास रुक जाता है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 4.5 लाख करोड़ सिगरेट के फिल्टर कश लगाने के बाद फेंक दिए जाते हैं। ये शोध अंगलिया रस्किन विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों ने किया है। सिगरेट के फिल्टर के कारण जमीन की अंकुरण क्षमता करीब 27 फीसदी और पौधे की लंबाई करीब 28 फीसदी कम हो जाती है। शोध में बताया गया है कि बिना उपयोग की गई सिगरेट भी उतनी ही नुकसानदायक है, जितनी उपयोग की हुई। साथ ही शोध में बताया गया कि प्लास्टिक की तुलना में सिगरेट काफी हानिकारक है। अध्ययन के एक हिस्से के रूप में टीम ने कैंब्रिज शहर के विभिन्न हिस्सों से नमूने लिए तो प्रति वर्गमीटर इलाके में करीब 128 सिगरेट के फिल्टर मिले।
इस चीज से बना होता है फिल्टर
जब कभी सिगरेट के फिल्टर को आप हाथ लगाते हैं, तो उसे छूने से लगता है कि वो रूई जैसा है। यही नहीं आमतौर पर हर सिगरेट पीने वाला भी कुछ ऐसा ही समझता है। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। ये फिल्टर प्लास्टिक के ही एक रूप सेल्युलोज एसीटेट से बने होते हैं। साथ ही इनके आसपास जो कागज जैसा लिपटा हुआ दिखाई देता है वो भी सेल्युलोज एसीटेट से बनाया गया नकली रेशम होता है, जिसे रेयान कहते हैं। हालांकि, सिगरेट के फिल्टर को कुछ इस तरह से बनाया जाता है कि वो सिगरेट के जहरीले और टार के रूप में ठोस तत्वों को कुछ हद तक रोक लें। सिगरेट के फिल्टर को आमतौर पर नष्ट होने में 18 महीने से दस साल तक का समय लगता है। हालांकि, ये समय उस इलाके पर भी निर्भर करता है, जहां पर इन फिल्टर को फेंका जाता है।