
वैज्ञानिकों के हाथ लगा आदिमानव का ऐसा अवशेष, अध्ययन में मिली चौंकाने वाली जानकारी...
नई दिल्ली। आदिमानव के बहुत पुराने अवशेष मिले हैं। इससे चौकाने वाली जानकारियां वैज्ञानिकों के हाथ लगी हैं। दरअसल,
यह अवशेष बहुत ऊंचाई पर रहने वाले आदिमानव के हैं। वैज्ञानिक ( scientist ) इस बात से हैरान हैं कि आखिर इतनी ऊंचाई पर मानवजाति ने कैसे कम ऑक्सीजन (oxygen ) में भी खुद को जीने के अनुकूल बनाया। गौर हो, ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में ऑक्सीजन बहुत कम मात्रा में होती है।
नहीं मिल सकता डीएनए
मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट के मानव विकास विभाग के निदेशक जीन-जैक्स हुब्लिन के अनुसार- ‘तिब्बत पर्वतीय क्षेत्र में करीब 3,300 मीटर की ऊंचाई पर 1,60,000 साल पुराने पहले डेनिसोवन्स के अवशेषों का मिलना अचंभित करने वाली बात है। अवशेष इतने पुराने होने के कारण इनका डीएनए प्राप्त नहीं हो पाया है।
इसके बावजूद हुबलिन और उनकी टीम ने इस जबड़े के एक दांत पर आधुनिक प्रोटीन विश्लेषण का इस्तेमाल कर इसे आनुवंशिक रूप से साइबेरिया में पाए गए डेनिसोवन प्रजातियों से जोड़ा।एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आदिमानव का यह अवशेष आदिमानव का जबड़ा है, जो एक बौद्ध भिक्षु को तिब्बत के पहाड़ों में 1980 में मिला था। यह उसे तिब्बत के बैशिया कार्स्ट केव में मिला था, जिसे उसने बौद्धों के छठे गुंग-थांग लिविंग बुद्धा को सौंप दिया। उसके बाद उन्होंने उस अवशेष को अध्ययन के उद्देश्य से लांन्झू यूनिवर्सिटी में भेज दिया है।
मिली ये जानकारियां...
इस अवशेष के अध्ययन से वैज्ञानिकों ने पाया कि यह अवशेष दक्षिण के साइबेरिया के बाहरी इलाके में मिले डेनिसोवन मानव प्रजाती जैसे हैं, जो दिखनें में हम लोगों जैसे थे। इन्हें कोई 1 लाख 60 हजार साल पुराने माना जाता है। इस अवशेष से आदिमानव के रहन-सहन के बारे में चौंकाने वाली जानकारी भी सामने आई।
कम ऑकसीजन में कैसे जीता रहा आदि मानव
वैज्ञानिकों के अनुसार इस अवशेष से यह बात समझने में मदद मिलेगी कि आखिर आदिमानव की डेनिसोवन्स प्रजाति ने ऊंचे पहाड़ी क्षेत्र में जीने के लिए खुद को कैसे अनुकूल किया। बता दें कि डेनिसोवन्स या डेनिसोवा होमिनिंस विलुप्त हो चुकी प्रजाति या जीन्स है।
नहीं मिल सकता डीएनए
मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट के मानव विकास विभाग के निदेशक जीन-जैक्स हुब्लिन के अनुसार- ‘तिब्बत पर्वतीय क्षेत्र में करीब 3,300 मीटर की ऊंचाई पर 1,60,000 साल पुराने पहले डेनिसोवन्स के अवशेषों का मिलना अचंभित करने वाली बात है। अवशेष इतने पुराने होने के कारण इनका डीएनए प्राप्त नहीं हो पाया है। इसके बावजूद हुबलिन और उनकी टीम ने इस जबड़े के एक दांत पर आधुनिक प्रोटीन विश्लेषण का इस्तेमाल कर इसे आनुवंशिक रूप से साइबेरिया में पाए गए डेनिसोवन प्रजातियों से जोड़ा।
Updated on:
04 May 2019 03:38 pm
Published on:
03 May 2019 05:27 pm
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