ऐसे काम करती है यह त्वचा
भास्करन और उनकी टीम ने जो प्रोटोटाइप (Prototype) विकसित किया है वह इलेक्ट्रॉनिक सेंसर (Electronic Sensors) की मदद से मानव त्वचा की ही तरह दर्द को महसूस कर सकती है और इस पर उसी तरह प्रतिक्रिया करती है। यह खास स्किन दरअसल, हमारी त्वचा की सबसे तीव्र प्रतिक्रिया की नकल करती है और प्रकाश की गति (Light Speed) से उन तंत्रिका संकेतों (Nerv Signals) की तरह प्रतिक्रिया कर सकती है जो हमारे दिमाग तक दर्द होने का अहसास कराती हैं। भास्करन का कहना है कि यह अगली पीढ़ी की बायोमेडिकल तकनीकों (Biomedical) और बुद्धिमान रोबोट्स (Smart Robots) का इंसानों की तरह भावनाएं व्यक्त करने की ओर पहला कदम है। त्वचा हमारे शरीर की सबसे संवेदनशील अंग है जिसके जटिल डिजायन के कारण हम पलक झपकते ही चोट, दर्द , रोमांच, सिहरन और ठंडा या गर्म महसूस करते हैं।
तीन तकनीकों का संगम है त्वचा
भास्करन ने बताया कि टीम ने कृत्रिम त्वचा बनाने के लिए अपनी ही तीन अलग–अलग तकनीकों को मिलाया है। सबसे पहले स्ट्रेचेबल इलेक्ट्रॉनिक्स जिन्हें एक पारदर्शी औैर न टूटने वाले ऑक्साइड सामग्री एवं बायोकॉम्पैटिबल सिलिकॉन के संयोजन से बनाया गया है। इसके अलावा हमाारे बाल से 1000 गुना पतली तापमान औैर दबाव के प्रति संवेदनशील कोटिंग्स को इस त्वचा पर चढ़ाया गया है जो खुद गर्मी पाते ही आकार बदल (Shape Shifter) लेती हैं। इसके बाद उन्होंने इसे हमारे दिमाग की नकल कररने वाले एक इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी सेल्स (Electronic Memory Cells) से जोड़ दिया। यह हमारे दिमाग की ठीक उसी तरह नकल करता है जैसे दिमाग में पहले से ही इकट्ठा की गई जानकारी के आधार पर वह हमें प्रतिक्रिया करने के लिए कहता है।