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नासा का दावा, पहले की तुलना में ज्यादा ‘भूखा’ हो गया है ब्लैकहोल, निगल सकता है पृथ्वी!

Published: Jan 15, 2020 10:42:43 am

Submitted by:

Vivhav Shukla

सूर्य से 60 लाख गुना ज्यादा वजनी है ये ब्लैकहोल
पहली बार ब्लैकहोल तारे को तोड़ता दिखा

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नई दिल्ली। ब्लैकहोल (black hole ) अंतरिक्ष का वो हिस्सा है, जहां भौतिक विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता। इसके गुरुत्वाकर्षण से कुछ भी नहीं बच सकता, यहां तक कि प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है। यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है इसीलिए इसको ब्लैकहोल कहते हैं। पिछले साल अप्रैल में वैज्ञानिकों ने ब्लैकहोल की एक तस्वीर जारी की थी। जिसको देखने के बाद पूरी दुनिया भौचक्का हो गई थी।
यह तस्वीर पृथ्वी के सबसे पास के ब्लैकहोल एम-87 ( black hole m87) की थी। इसके अलावा 24 साल पहले एक ब्लैकहोल के बारे में पता चला था जिसका नाम है सैजिटैरस ए स्टार। यह आकाशगंगा मिल्की वे के केंद्र में स्थित है। इसे एक शांत ब्लैकहोल माना जाता है। लेकिन अब खबर आ रही है कि इस ब्लैकहोल में हलचल देखने को मिली है।
https://twitter.com/NASA_TESS?ref_src=twsrc%5Etfw
सूर्य से 60 लाख गुना ज्यादा वजनी है ये ब्लैकहोल

दरअसल, शोधकर्ताओं ने ब्लैकहोल द्वारा ब्रह्माण्डीय उथल-पुथल के तहत एक सूर्य के आकार के तारे को इसमें टूट कर समाते देखा गया है।बताया जा रहा है कि ये ब्लैकहोल सूर्य से 60 लाख गुना ज्यादा वजनी है। वैज्ञानिकों ने इस घटना को ज्वारीय विघटन (टाइडल डिसरप्शन) बताया हैं। इस खगोलीय घटना को नासा के उपग्रह ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) और नील गेहरेल्स स्विफ्ट की मदद से देखा गया है।इस घटना की जानकारी देते हुए नासा ने बताया कि, ब्रह्माण्ड में ऐसी ज्वारीय विघटन होना बहुत ही विरल है। दस हजार से एक लाख वर्षों में बीच आकाशगंगा में यह घटना होती है।नासा ने कहा अब तक केवल 40 बार ही ऐसी घटना देखी गई हैं।
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पहले की तुलना में ज्यादा ‘भूखा’ हो गया है ब्लैकहोल

एस्ट्रोफिजिकल जनरल लेटर्स में छपे एक रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्लैकहोल सैजिटैरस ए स्टार पहले की तुलना में ज्यादा ‘भूखा’ हो गया है जिससे यह आसपास की चीजों को ज्यादा तेजी से अपने अंदर समाहित कर रहा है। एक ब्लैकहोल खुद से किसी भी तरह का प्रकाश नहीं निकालता है। लेकिन जो चीजें इसमें समाती जाती हैं वो इसके प्रकाश का स्रोत हो सकती हैं। हालांकि इन परिवर्तनों का पृथ्वी या इस आकाशगंगा के किसी भी ग्रह पर असर नहीं पडे़गा।
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347 वैज्ञानिकों की टीम कर रही है रिसर्च

बता दें दुनिया के अलग अलग देशों के 347 वैज्ञानिकों की एक टीम ब्लैकहोल के ऊपर काम कर रही है। इस टीम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वैज्ञानिक शेप डोएलेमान ने कहा है कि जिस तरह 2019 में ब्लैकहोल की तस्वीर आई वैसे ही 2020 में ब्लैकहोल का वीडियो भी जारी किया जा सकेगा।
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