पेन यूनिवर्सिटी की अर्थ एंड एनवायर्नमेंटल सिस्टम इंस्टीट्यूट (EESI) की निदेशक और जियोसाइंस की प्रोफेसर सूजन ब्रैंटली ने बताया कि भूकंपीय तरंगे ऊर्जा की ऐसी लहर होती हैं जो पृथ्वी से होकर गुजरती हैं। जिससे धरती में भूंकप आते हैं। अगर यही क्रिया तकनीक के जरिए जमीन में किया जाए तो इससे पानी के स्त्रोतों और उसकी गुणवत्ता का पता लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं इन तरंगों की वजह से पानी में किस तरह के रासायनिक बदलाव होते हैं। इस बात को भी समझा जा सकता है।
प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं ने अपने उपकरण ससक्वेहाना सेल हिल्स क्रिटिकल जोन ऑबजर्वेटरी की रिसर्च साइट पर 115 फीट गहरे गड्ढे में उतारें। उन्होंने यहां नकली भूकंपीय तरंगे पैदा की, जिससे जमीन में हलचल हुई। उन्होंने रिसर्च में तरंगों की गति मापी। साथ ही देखा कि इससे क्या बदलाव आते हैं। अध्ययन के अनुसार यदि तरंगों की गति तेज होती है तो इसका मतलब है कि वे ठोस चट्टानों और छिद्रों में भरे पानी के जरिए तेजी से गतिमान हैं। जबकि तरंगों की गति कम होने पर ये अवसादी शैलों से होकर गुजरती हैं, जहां चट्टानों या मिट्टी के छिद्रों में हवा भरी हुई होती है।