सोच को पहली बार मिलेगी शक्ल
इस कम्प्यूटर को व्यवहारिक रूप से काम करने के लिए अभी कई और चरणों से गुजरना है लेकिन शुरुआती नतीजों ने शोधकर्ताओं के हौसले बढ़ा दिए हैं। किसी सामान्य कम्प्यूटर की तरह पूरी तरह काम करने के लिए तैयार होने पर यह ‘स्मार्ट मशीन’ बड़ी सरलता से हमारे दिमाग में कौंध रहे विचारों और उनमें मौजूद नई जानकारियों से दिमाग की ऐसी काल्पनिक तस्वीरें बनाएगा जो हमारे मस्तिष्क की हूबहू नकल होगी।
टू-वे कम्यूनिकेशन होगी संभव
हेलिंस्की विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे पहले के ऐसे ही ‘ब्रेन-कम्प्यूटर’ इंटरफेस मस्तिष्क से कम्प्यूटर के बीच सिर्फ वन-वे कम्यूनिकेशन ही स्थापित कर पाते थे। लेकिन ‘नोवल ब्रेन-कम्प्यूटर’ इंटरफेस पर आधारित यह ‘स्मार्ट मशीन’ बड़ी सरलता से टू-वे कम्यूनिकेशन करने में सक्षम होगा। इस कम्प्यूटर को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तैयार किया गया है। विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस तकनीक को ‘न्यूरोडैप्टिव जेनेरेटिव मॉडलिंग’ नाम दिया है।
विचारों से काफी हद तक समानता
शोध में यूनिवर्सिटी के 30 से अधिक वॉलंटीयर्स शामिल थे। इन सभी ने इस कम्प्यूटर की तकनीक को परखने और इसकी मन के विचारों को पढऩे की काबिलियत को परखने में न केवल मदद की बल्कि उसकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन भी किया। अनुसंधान के दौरान जब वॉलंटीयर्स ने कम्प्यूटर से बनी विचारों की तस्वीरों और छवियों का मूल्यांकन किया तो उन्होंने पाया कि वे उन विचारों के बेहद करीब थीं जो परीक्षण में हिस्सा ले रहे वॉलंटीयर्स के मन-मस्तिष्क में चल रही थीं। वैज्ञानिक इसलिए भी हैरान थे क्योंकि ‘न्यूरोडैप्टिव जेनेरेटिव मॉडलिंग’ ने करीब मन में चल रहे विचारों का 83 फीसदी सटीक अंदाजा लगाया था।
मानव रचनात्मकता को बढ़ा पाएगा?
हेलिंस्की विश्वविद्यालय के फिनलैंड रिसर्च फेलो अकादमी और कोपेनहेगन विश्वविद्यालय, डेनमार्क में सहायक प्रोफेसर टुक्का रूट्सलो का कहना है कि उनका यह कम्प्यूटर उपयोगकर्ता के दिल-ओ-दिमाग में चल रही विचारों की भूल-भुलैया से मिलती-जुलती बिल्कुल नई छवि बना सकता है। इससे आने वाले समय में इंसानों के मन की गहराई में चल रही उथल-पुथल को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। साथ ही अपराधियों और मनोवैज्ञानिक परेशानियों से जूझ रहे रोगियों की अवचेतन मनोवृत्ति के बारे में भी विस्तार से समझा जा सकेगा। प्रोफेसर टुक्का को उम्मीद है कि उनका बनाया यह स्मार्ट कम्प्यूटर एक दिन मानव रचनात्मकता को बढ़ा सकता है। अगर हम मन में आए किसी चित्र, कल्पना या डिजायन को कागज पर उतारने या चित्रित करने में बार-बार फेल हो रहे हैं तो उनका कंप्यूटर यह काम आसानी से कर देगा। यह हमें बिल्कुल वही बनाकर देगा जो हम अपने अंतर्मन में विचार कर रहे थे।