धरती के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) होती हैं। इने जुड़ने वाली जगह को फॉल्ट लाइन कहा जाता है। प्लेट्स जहां-जहां जुड़ी होती हैं, वहां-वहां टकराव ज्यादा होता है। ऐसे ही इलाकों में भूकंप ज्यादा आते हैं।
धरती पर कई फॉल्ट जोन हैं। जहां प्लेट्स एक-दूसरे से मिलती हैं। इन प्लेटों के आगे-पीछे या ऊपर-नीचे खिसकने पर भूकंप आता है। भारत को भूकंप के जोखिम के हिसाब से चार जोन में बांटा गया है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार प्लेटों के सामान्य एडजस्टमेंट की स्थिति में लगातर छोटे झटके महसूस होते रहते हैं। ये लंबे समय तक चलते हैं।
अमेरिका के भू-विज्ञानी बर्गमैन के मुताबिक बड़े भूकंप से पहले छोटे झटके आ सकते हैं। हल्के झटकों के बाद हफ्तेभर के अंदर उनसे थोड़ी ज्यादा तीव्रता के भूकंप की 10 फीसदी आशंका बनी रहती है। इन छोटे झटकों से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन इनके बाद अलर्ट होने की जरूरत रहती है।