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हिंद महासागर के अंदर हो रही हलचल ने बढ़ाई वैज्ञानिकों की चिंता, बड़े भूकंप का है खतरा

locationनई दिल्लीPublished: May 27, 2020 12:32:04 pm

Submitted by:

Soma Roy

Alert Of Eathquake : हिंद महासागर के नीचे टूट रही है टेक्टोनिक प्लेट, इसे भारत ऑस्ट्रेलिया कैपरीकॉर्न टेक्टोनिक प्लेट के रूप में जाना जाता है
एक साइंस रिपोर्ट के मुताबिक इन प्लेट्स के टूटने पर धरती की संरचना में बड़े बदलाव हो सकते हैं

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Alert Of Eathquake

नई दिल्ली। कोरोना (Coronavirus) के कहर से पूरी दुनिया पहले से ही परेशान है। अब देश में टिड्डी दल का भी हमला हो गया है। ऐसे में वैज्ञानिकों (Scientists) ने एक और बुरी खबर दी है। बताया जा रहा है कि हिंद महासागर के नीचे मौजूद विशाल टेक्टोनिक प्लेट (Tectonic Plates) टूटने जा रही है। इनके खिसकने या टूटने से धरती की संरचना में बहुत बड़े बदलाव हो सकते हैं। ये भविष्य में बड़े भूकंप (Earthquake) जैसे खतरे को भी न्यौता दे सकते हैं।
समुद्र के नीचे टूट रही इन टेक्टोनिक प्लेट को भारत ऑस्ट्रेलिया कैपरीकॉर्न टेक्टोनिक प्लेट के रूप में जाना जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार इन प्लेट्स के टूटने की रफ्तार 0.06 यानी 1.7 मिली मीटर्स प्रतिवर्ष है। इसके अनुसार प्लेट के दो हिस्से 10 लाख साल में होंगे। तब तक ये तकरीबन 1 मील यानी 1.7 किलोमीटर की दूरी तक खिसक जाएंगे। लाइव साइंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट शुरुआत में भले ही इस बदलाव का पता नहीं चलेगा, लेकिन वक्त के साथ समस्या बढ़ती जाएगी।
शोधकर्ता ऑरेली कॉड्यूरियर ने अपनी टीम के साथ रिसर्च में पाया कि पहले आए दो मजबूत भूकंपों का केंद्र हिंद महासागर रह चुका है। इससे पता चलता है कि पानी के नीचे कुछ हलचल हो रही है। ये भूकंप हिंद महासागर में इंडोनेशिया के पास आए थे। 11 अप्रैल,2012 को आए भूकंप की तीव्रता 8.6 और 8.2 थी। ये भूकंप असामान्य थे क्योंकि ये हमेशा की तरह सबडक्शन जोन से नहीं बल्कि टेक्टोनिक प्लेट के बिल्कुल बीचो बीच से आए थे। ऑरली ने रिपोर्ट में बताया कि हिंद महासागर के नीचे केवल एक प्लेट नहीं है बल्कि तीन प्लेट्स आपस में जुड़कर एक ही दिशा में आगे बढ़ रही हैं। टीम अब उस वॉरटन बेसिन नाम के विशेष फ्रैक्चर जोन पर ध्यान दे रही है जहां पहले भूकंप आए थे।
आरली अपनी टीम के साथ वैज्ञानिकों की ओर से तैयार किए गए साल 2015 और 2016 के डेटासेट का अध्ययन कर रही थीं। तभी उन्हें पता चला कि हिंद महासागर के नीचे टेक्टोनिक प्लेट टूट रही है।
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