यही नहीं वैज्ञानिकों को कई कार्यशालाएं भी मिली हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे राजसी परिसर का निर्माण करने वाले मजदूरों की जिंदगी और रहन-सहन के बारे में कई खुलासे होंगे। पता चला है कि इस जगह पर मजदूर अपने सामान और उपकरणों को रखते थे। फारो की कब्र के पास दो महिलाओं की ममी के अवशेष मिले हैं, साथ ही मूर्तियां भी मिली हैं। प्राचीन मिस्र के लोग मानते थे कि ममियों के साथ इंसान जैसी दिखने वाली मूर्तियां ताबूत में छोड़ने से मृत्यु के बाद पुनर्जन्म में यह मूर्तियां उस मृत व्यक्ति की सहायता करती हैं। इन इंसान जैसी दिखने वाली मूर्तियों को शब्ति कहते थे। दोनों महिलाओं की ममियां किसकी हैं, इस बात का पता अभी तक नहीं चल पाया है।
इस खोज में एक ढांचे की भी खोज की गई है। इनका उपयोग ब्रेड बनाने, मिट्टी के बर्तन बनाने और पानी का संरक्षण करने के लिए किया जाता था। वैज्ञानिकों को दो अंगूठियां भी मिली हैं, जिनमें से एक पर अमेनहोटप तृतीय का नाम मढ़ा हुआ है। अमेनहोटप एक फारो और तुतनखामुन के दादा थे और इनकी कब्र पश्चिमी घाटी में स्थित है। वहीं दूसरी अंगूठी के बार में वैज्ञानिकों ने कहा कि ये अंगूठी शायद किसी रानी की थी। भू-वैज्ञानिकों को कार्यशाला परिसर से नजदीक घाटी में ही 16 मीटर लंबा गढ्ढा मिला है। इसके बारे में अनुमान है कि ये गढ्ढा वस्तुओं को संग्रह करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।