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बड़े पैमाने पर इन मच्छरों के परीक्षण के दौरान यह बात सामने आई है कि ये मच्छर डेंगू और इस तरह के दूसरे वायरसों को फैलने से रोकते हैं। इसके लिए इन मच्छरों में एक खास बैक्टीरिया की मौजूदगी जरूरी होती है। ये बैक्टीरिया कीड़ों में पाया जाता है और इंसानों के लिए नुकसानदेह नहीं हैं। इसकी सफलता का पहला संकेत ऑस्ट्रेलिया ( Australia ) में में नजर आया। उत्तरी क्वींसलैंड के इलाके में वोलबाशिया बैक्टीरिया वाले मच्छरों को 2011 में छोड़ा गया। धीरे धीरे ये मच्छरों की स्थानीय आबादी के साथ मिल गए. डेंगू का फैलाव तब होता है जब कोई मच्छर किसी पीड़ित इंसान को काटने के बाद दूसरे किसी इंसान को काटे। वोलबाशिया बैक्टीरिया किसी तरह इस प्रक्रिया को रोक देता है। सिम्मंस का कहना है कि नॉर्थ क्वींसलैंड के इलाके के समुदायों में स्थानीय स्थर पर संक्रमण लगभग खत्म हो गया है।
वहीं अब इसकी असली अग्ननि परीक्षा तो एशिया और लातिन अमेरिका में होगी, जहां डेंगू की महामारी लगातार फैलती रहीत है और लाखों लोग इस पीड़ा को झेलते हैं। वहीं कई बात ये काफी घातक भी हो जाती है। सिम्मंस की टीम ने रिपोर्ट दी कि योग्याकार्ता के इंडोनेशियाई समुदाय में 2016 में इन मच्छरों को छोड़ा गया था और वहां अब तक डेंगू बुखार के मामलों में 76 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इसकी तुलना पास के एक इलाके से की गई जहां अकसर डेंगू बुखार के मामले सामने आते हैं। रिसर्चरों ने वियतनाम के न्हा त्रांग शहर के पास एक समुदाय में भी इसी तरह की कमी देखी। हाल ही में ब्राजील के रियो डे जनेरो के पास भी डेंगू और उससे जुड़े एक और वायरस चिकनगुनिया में भारी कमी देखी गई है। इन देशों और दूसरे इलाकों में रिसर्च अभी जारी है।