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MP के कुबेरेश्वर धाम में आस्था का अपमान, कचरे में पड़े 2 लाख से अधिक कावड़

MP News: 6 अगस्त को यहां 50 रुपए में एक कांवड मिल रही थी। अब कुबेरेश्वर धाम में निर्माणधीन शिव मंदिर के सामने कावड़ और फूलों का ढेर पड़ा हुआ है।

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सीहोर

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Akash Dewani

Aug 10, 2025

kubereswar dham lakhs of kanwar dumped in trash mp news

kubereswar dham lakhs of kanwar dumped in trash mp news (Patrika.com)

MP News: सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम में 2 लाख से ज्यादा कांवड़ कचरे के ढेर में पड़ी हैं। 6 अगस्त को यहां 50 रुपए में एक कांवड मिल रही थी। इन कांवड़ को कंधे पर रखकर श्रद्धालु 11 किलोमीटर का सफर तय कर कुबेरेश्वर धाम (Kubereswar Dham) पहुंचे थे। कांवड़ के महत्व से अपरिचित श्रद्धालु भगदड़ और अव्यवस्था के चलते इन्हें यहीं छोड़ गए। अब धाम के सफाईकर्मी इनमें से प्लास्टिक के कलशों को अलग कर रहे हैं, जिससे उन्हें कबाड़ में बेचा जा सके। लकड़ी अलग की जा रही है, जिससे उन्हें जलाया या फिर बाहर कहीं फेंका जा सके। निर्माणाधीन शिव मंदिर के सामने लगे कांवड़ों के ढेर के पास फूल आदि सड़ने से बदबू आ रही है।

प्रतिमा नहीं, शिला पर चढ़ाया जा रहा जल

कुबेरेश्वर धाम का संचालन कर रही विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी मनोज दीक्षित ने बताया कि अभी धाम में शिवजी की प्रतिमा की स्थापना नहीं हुई है। अभी यहां केवल मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। भविष्य में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। अभी यहां कांवड़ केदारनाथ से लाई गई शिला पर चढ़ाई जा रही हैं, यहां शिव मंदिर नहीं हैं।

कावड़ को लेकर क्या कहते है शास्त्र

शास्त्रों के अनुसार, कांवड़ से जल चढ़ाने के बाद कांवड़ को पवित्र शिव स्वरुप मानकर समानपूर्वक रखना चाहिए। कांवड़ यात्रा के दौरान इसे जमीन पर नहीं रखना चाहिए और न ही किसी अपवित्र स्थान पर। जलाभिषेक के बाद कांवड़ में बचा जल घर ले जाकर पूरे घर में छिड़कना चाहिए। उस पवित्र जल से आचमन करना शुभ माना जाता है, क्योंकि कांवड़ का जल अभिमंत्रित हो जाता है।

कावड़ के नियम

कथाव्यास पंडित मोहितराम पाठक ने पत्रिका के साथ बातचीत में बताया कि कांवड़ को कभी भी धरती पर नहीं रखना चाहिए, इससे इसका संकल्प टूट जाता है। खाली कांवड़ को नर्मदा, गंगा, यमुना किसी भी पवित्र नदी में विसर्जित करना चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार पहली बार कांवड़ भगवान परशुराम ने चढ़ाई थी। भगवान शिव का अभिषेक किया था। भगवान राम ने भी गंगाजल लेकर देवघर (वैद्यनाथ धाम) में कांवड़ चढ़ाई थी। भगवान राम ने कांवड़ को वही नहीं डाला, वे उसे लेकर अयोध्या गए थे।