कुछ ऐसी ही कहानी है रेलवे ब्रिज के निकट बुढार निवासी कमबीर घुरियानी की, जो पिछले 11 साल से लगातार गर्मी के सीजन की शुरुआत होते ही प्याउ खोलकर खुद से हर दिन राहगीरों को पानी पिलाते हैं, गर्मी के इस सीजन में जब पानी की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। उस सीजन में खुद से 20 से 25 घड़ा पानी दिनभर में कुएं से लाकर राहगीरों को पिलाते हैं। जब इस बारे में उनसे पूछा गया तो उनका
कहना है कि ये काम करने से उन्हें आत्मिक संतुष्टि मिलती है।
जैसे ही तेज गर्मी पडऩी शुरू हो जाती है घुरियानी बड़े ही उत्साह के साथ इस काम को करते हैं, और इस कार्य को पिछले कई साल से कर रहे हैं। घुुरियानी खुद पेशे से चाय बेचने का बिजनेस करते हैं, और समाज में अपनी अच्छी जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए हर दिन सैकड़ों राहगीरों को अपने हाथों से ठंडा शीतल जल उपलब्ध कराकर मानवता की सेवा कर रहे हैं।
अपने इस काम के बारे में घुरियानी कहते हैं कि मेरे पिता जी पहले हम लोगों के निजी किरानी दुकान के सामने 8 से 10 घड़ा पानी रखवाकर गर्मी के चार महीने फ्री में पानी लोगों को पिलाकर परोपकार का रास्ता चुने हुए थे। और उन्हीं से प्रेरणा लेकर और उनके आशीर्वाद से उन्हीं की याद में गर्मी शुरू होते ही मैं निरंतर लोगों की प्यास बुझाकर प्रभु की सेवा कर रहा हूं, यही सबसे बड़ा परोपकार है।
बात तो सही है प्यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा पुण्य का काम है, जो गर्मी के इस सीजन में जब सबसे ज्यादा राहगीरों की पानी की जरूरत होती है, ऐसे समय में लोगों के प्यास को बुझाने का काम करना अपने आप में सबसे बड़ा परोपकार है।