
शाहजहांपुर हादसा: अपनों के शवों को देख रोती-बिलखती बच्ची।
शाम के करीब 6:10 बजे थे। सूरज ढल चुका था। रोजा जंक्शन के पावर केबिन के पास धुंध छाने लगी थी। प्लेटफार्म पर यात्री अपनी ट्रेनों का इंतजार कर रहे थे। तभी डाउन लाइन पर सहरसा-अमृतसर गरीब रथ एक्सप्रेस की तेज सीटी सुनाई दी। ट्रेन अपनी रफ्तार से रोजा आउटर की तरफ बढ़ रही थी।
तभी एक बाइक पर 5 लोग- दो पुरुष, एक महिला और दो मासूम बच्चे मानवरहित क्रॉसिंग से पटरी पार करने की कोशिश कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हरिओम ने दूर से ट्रेन आती देखकर बाइक पटरी पर ही रोक दी। उसे भ्रम हुआ कि ट्रेन दूसरी लाइन से गुजर रही है जबकि अमृतसर से सहरसा जा रही 12204 गरीबरथ एक्सप्रेस उसी पटरी पर तेज गति से पहुंच गई। लोको पायलट ने हॉर्न बजाकर बाइक सवारों को हटाने का प्रयास किया लेकिन समय रहते कोई संभल नहीं सका और ट्रेन ने बाइक को जोरदार टक्कर मार दी।
प्रत्यक्षदर्शी अमित कुमार ने बताया कि ट्रेन को आते देख लोग चीख पड़े- हटो…भागो वहां से…लेकिन ट्रेन के शोर और उस भयावह पल के दबाव में बाइक सवारों को कुछ सुनाई नहीं दिया। अगले ही पल, एक जोरदार धमाका हुआ।
टक्कर लगते ही बाइक सवारों के परखचे उड़ गए। मंजर ऐसा था कि देखने वालों ने अपनी आंखें मूंद लीं। गरीब रथ का इंजन बाइक को फंसाकर करीब 200 मीटर तक घिसटता चला गया। लोहे के आपस में रगड़ने से निकलती चिंगारियां और चीखें… सब कुछ सन्न कर देने वाला था। जब ट्रेन रुकी, तो ट्रैक पर इंसान नहीं, सिर्फ मांस के लोथड़े और बिखरे हुए कपड़े नजर आ रहे थे।
एक यात्री ने बताया कि वो मंजर देख कलेजा मुंह को आ गया। मासूम बच्ची निधि और नन्हे सूर्या के शवों की हालत देखकर पत्थर दिल इंसान भी रो पड़े।
हादसे की खबर जैसे ही हरिओम के पिता लालाराम तक पहुंची, वो दौड़ते हुए मौके पर आए। वहां बिखरे शवों को देखकर वो जमीन पर गिर पड़े। उनका विलाप सुनकर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों और राहगीरों की आंखें भी नम हो गईं। शॉर्टकट लेकर घर जल्दी पहुंचने की एक छोटी सी कोशिश ने पूरे परिवार को मौत की गोद में सुला दिया।
टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि इंजन का प्रेशर पाइप फट गया। करीब 45 मिनट तक रेल यातायात पूरी तरह ठप रहा। बरेली-बनारस एक्सप्रेस और मुगलसराय एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें जहां की तहां खड़ी रहीं। रात के अंधेरे में टॉर्च की रोशनी में जब जीआरपी और पुलिस ने शवों के अवशेषों को समेटना शुरू किया, तो हर तरफ सिर्फ गम और सन्नाटा था। देर रात तक एडीएम (वित्त एवं राजस्व) और सीएमओ डॉ. विवेक मिश्रा पोस्टमॉर्टम हाउस पर डटे रहे। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि पीड़ित परिवार की हरसंभव मदद की जाएगी।
Updated on:
25 Dec 2025 12:46 pm
Published on:
25 Dec 2025 12:37 pm
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