
Dhadicha Pratha Shivpuri : भारतीय संस्कृति की प्रसिद्धि दुनियाभर में होती है। खासतौर पर कई विदेशी हिंदू रीति रिवाजों से शादी करना पसंद कर रहे हैं। खासकर भारतीय वैवाहिक रीति रिवाज और 7 जन्मों के बंधन से विदेशी खासा प्रभावित होते हैं। लेकिन, दुनियाभर में अपनी परंपराओं को लेकर खास पहचान रखने वाले भारत में एक इलाका ऐसा है, जहां पत्नी भी किराए पर मिलती है। यही नहीं, यहां आने वाले पुरूष बोली लगाकर महिला को अपने साथ ले जाते हैं। यही नहीं, इसके लिए बकायदा एग्रीमेंट होता है। ये सब हो रहा है मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में।
बता दें कि, यहां आने वाले पुरुष महिलाओं के लिए न सिर्फ बोली लगा सकते हैं, बल्कि उन्हें अपने साथ किराए पर भी ले जा सकते हैं। ये बात सुनने में बेहद अजीब लग रही है, लेकिन यहां कुंवारी लड़कियों से लेकर शादीशुदा महिलाए तक किराए पर मिलती हैं। दरअसल, ये सब यहां की एक स्थानीय प्रथा के नाम पर यहां होता है। इस प्रथा को यहां 'धड़ीचा' नाम से जाना जाता है।
स्थानीय चर्चित 'धड़ीचा' प्रथा के अनुसार, यहां दूसरों की बहू - बेटियां किराए पर ली जा सकती हैं। हर साल तय समय में मंडी लगती है, जिसमें बड़ी संख्या में औरतें और लड़कियां खरीदने दूर-दूर से लोग आते हैं। हैरानी की बात तो ये है कि मंडी में कुंवारी लड़कियों से लेकर शादीशुदा महिलाएं तक किराए पर दी जाती है। पुरुष इस मंडी में महिला का चाल-चलन देखकर उसका दाम लगाते हैं। अगर किसी पुरुष को कोई लड़की या महिला पसंद आती है तो वो 10 रुपए से लेकर 100 रुपए तक के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट कर उसे एग्रीमेंट के तहत तय समय के लिए ले जाता है। एग्रीमेंट में दोनों पक्षों की शर्तें लिखी रहती हैं। मंडी की शुरुआती बोली 15 हजार से शुरू होकर 4-5 लाख तक जाती है।
अगर किसी पुरुष को महिला पंसद आ गई और वह उसके साथ और समय बिताना चाहता है तो उसे मंडी में जाकर दोबारा एग्रीमेंट बनवाना होता है। अतिरिक्त पैसे देकर वह कुछ समय के लिए फिर उसी महिला को किराए पर ले सकता है।
पुरुष अपनी अलग-अलग जरुरतों के लिए महिलाओं को किराए पर ले जाते हैं। जैसे किसी को मां की सेवा करवाना होती है तो कोई शादी का नाटक करने के लिए इन्हें किराए पर ले जाता है।
इस प्रथा में महिलाओं के लिए ये सुविधा है कि उसे एग्रीमेंट तोड़ने की पूरी आजादी रहती है। अगर किसी दूसरे पुरुष से उसे ज्यादा पैसे ऑफर होते हैं या वो किराए पर ले गए शख्स के साथ खुश न रहे तो वो एग्रीमेंट तोड़ने का अदिकार रखती है। ऐसा करने के लिए उसे स्टांप पेपर पर शपथपत्र देना होता है। इसके बाद उसे तय राशि खरीदार को लौटानी पड़ती है।
इस तरह प्रथा के नाम पर महिलाओं की खरीद-फरोख्त की बड़ी वजह लिंगानुपात का अंतर है। शिवपुरी में 1 हजार पुरुषों पर 877 महिलाएं हैं। यानी प्रति हजार में 123 लड़कों को लड़की नहीं मिल पाती। इसलिए भी क्षेत्र में इस तरह की प्रथा खासा चर्चित है।
Updated on:
04 Aug 2024 12:45 pm
Published on:
04 Aug 2024 12:35 pm
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