VIDEO राजस्थान बजट 2018-19 : सरकार की सबसे बड़ी घोषणा पर लगा बेईमानी का आरोप, एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
हालांकि सीकर किसान आंदोलन 2017 के पार्ट-2 के रूप में किसानों का 22 फरवरी 2018 को विधानसभा घेराव का कार्यक्रम पिछले नवम्बर-दिसम्बर में तय हो गया था, मगर सोमवार को राजस्थान बजट 2018-19 में कर्जा माफी की घोषणा से लगा था कि किसान 22 फरवरी को प्रस्तावित विधानसभा घेराव का ऐलान वापस ले लेंगे, परन्तु किसानों ने सभी किसानों के सभी तरह के ऋण माफी नहीं होने से खफा होकर 22 फरवरी को राजस्थान विधानसभा घेराव का फैसला यथावत रखते हुए किसान अपनी मांगों को लेकर जयपुर रवाना हो गए।
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प्रदेशभर के किसानों के झुंझुनूं, नागौर, सीकर और कोटा से कुल चार पैदल जत्थे 22 फरवरी को जयपुर पहुंचेंगे। बजट 2018-19 में किसानों के कर्ज माफी की घोषणा के तुरंत बाद ही झुंझुनूं और कोटा से किसानों के जत्थे तो जयपुर के लिए रवाना भी हो गए हैं। सीकर और नागौर से भी रवाना होंगे।
12 फरवरी: किसानों का पहला जत्था झुंझुनूं से
किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव करने के लिए 12 फरवरी 2018 को शेखावाटी के किसानों का पहला जत्था जयपुर के लिए झुंझुनूं के बालूराम स्मारक से रवाना हुआ है। किसान नेता पूर्व उप जिला प्रमुख विद्याधर गिल व छगन चौधरी के नेतृत्व में जयपुर जा रहे जत्थे का अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव अमराराम ने रवाना किया।
12 फरवरी: किसानों का दूसरा जत्था कोटा से
विधानसभा का घेराव करने के लिए सोमवार को ही किसानों का दूसरा जत्था कोटा से रवाना हुआ है। यह जत्था अखिल भारतीय किसान सभा की केन्द्रीय कमेटी सदस्य दूलीचंद मीणा के नेतृत्व में 22 फरवरी को जयपुर पहुंचेगा।
15 फरवरी : किसानों का तीसरा जत्था डाबला नागौर से
नागौर जिले के किसानों का जत्था 15 फरवरी को गांव डाबला से जयपुर के लिए कूच करेगा। इस जत्थे का नेतृत्व सीकर किसान आंदोलन के हीरो रहे अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम खुद करेंगे।
17 फरवरी : किसानों का चौथा जत्था मांडोता से
किसानों का सबसे बड़ा और सबसे आखिरी जत्था 17 फरवरी 2018 को सीकर जिले के धोद विधानसभा क्षेत्र के गांव मांडोता से जयपुर के लिए कूच करेगा। इस जत्थे का नेतृत्व अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेशाध्यक्ष पेमराम व किसान सभा की राज्य कमेटी के सदस्य मंगल सिंह करेंगे।
किसानों के संघर्ष चार गाने तैयार
माकपा के जिला सचिव कामरेड किसन पारीक ने बताया कि किसानों के प्रत्येक जत्थे के साथ डीजे भी होगा। इसके लिए सीकर किसान आंदोलन और अन्य आंदोलनों में किसानों के संघर्ष को बयां करते चार गाने भी तैयार किए गए हैं, जो डीजे पर बजेंगे।
रास्तों में ग्रामीण करेंगे खाने-पीने की व्यवस्था
किसानों के जत्थे जयपुर के रास्ते में कई गांवों में रात्रिविश्राम करेंगे। ग्रामीणों ने किसानों को भोजन के लिए भी आमंत्रित किया हैं। यानि की किसान रास्ते में जिस गांव में विश्राम करेंगे, वहां के ग्रामीणों और किसानों द्वारा ही जत्थे में शामिल किसानों के लिए भोजन, पानी की व्यवस्था करेंगे।
सीकर किसान आंदोलन से भी तगड़ी रणनीति
माकपा के जिला सचिव कामरेड किसन पारीक ने बताया कि राजस्थान के किसानों के चारों जत्थे अलग-अलग रास्तों से जयपुर पहुंचेंगे, मगर सभी एक साथ ही विधानसभा का घेराव करेंगे। इस बार के आंदोलन की रणनीति राजस्थान सरकार को झुका देने और प्रदेश के 14 जिलों में जाम करने वाले Sikar Kisan andolan से भी तगड़ी बनाई गई है। बुधवार दोपहर माकपा सीकर के जिला कार्यालय में प्रेसवार्ता में किसान नेता जयपुर कूच की रणनीति के बारे में बताएंगे।
समझें किसानों की कर्ज माफी का गणित
-राजस्थान बजट 2018-19 में लघु व सीमान्त किसानों के सितम्बर 2017 तक के अवधि पार 50 हजार रुपए तक के ही ऋण माफी की घोषणा हुई।
-हकीकत यह है कि प्रदेश में सहकारी बैंकों के 35 लाख से ज्यादा सदस्य हैं। इनमें से महज 20 लाख किसान ही लघु व सीमांत की श्रेणी में आते हैं।
-इनमें से महज दो से तीन लाख किसान के ऋण ही ओवरड्यू होते हैं। सीकर जिले में पौने चार लाख किसान किसानों के पास क्रेडिट कार्ड हैं।
-जबकि सहकारी बैंक के सदस्य एक लाख दस हजार ही है। सहकारी बैंकों के डिफाल्टर की संख्या 35 हजार ही है।
-इनमें से करीब पांच से छह प्रतिशत लघु सीमांत किसानों के ऋण अवधि पार हैं। इस कारण यह घोषणा उंट के मुंह में जीरे के समान है।
राजस्थान बजट 2018 में किसानों से बेईमानी-अमराराम
किसानों के 50 हजार रुपए तक के कर्ज माफ और प्रदेश में कर्जा मुक्तिबोर्ड के गठन की घोषणा की गई है। सीकर किसान आंदोलन के हीरो अमराराम ने बताया कि सरकार ने बजट 2018-19 में लघु व सीमांत किसानों के 50 हजार रुपए तक के कर्ज माफ ी की घोषणा की है वो भी सिर्फ कॉपरेटिव सोसायटी से लिए गए ऋ ण के संबंध में। जबकि ये जरूरी नहीं किसानों ने केवल कॉपरेटिव से ही ऋण लिए हैं।
किसानों ने ग्रामीण बैंक और वाणिज्यक बैंकों से भी ऋ ण ले रखे हैं। सीकर के किसानों ने सभी किसानों के सभी बैंकों के ऋ ण माफ करवाने के लिए आंदोलन किया था। जबकि सरकार ने केवल लघु और सीमांत किसानों के कॉपरेटिव बैंक के ही कर्ज माफ की घोषणा की है। ऐसे में सरकार ने किसानों से बेईमानी की है। जो समझौता किसानों और सरकार के बीच हुआ था। उससे वादा खिलाफ ी का काम राजस्थान सरकार ने बजट में किया है।
कर्जा मुक्ति बोर्ड सिर्फ दिखावा
किसान नेता अमराराम का कहना है कि राजस्थान बजट 2018-19 में किसान कर्जा मुक्ति बोर्ड के गठन की घोषणा की गई है जबकि ये प्रशासनिक आदेश से होगा जिसका कोई औचित्य नहीं है। इन्हें कर्जा मुक्ति बोर्ड का गठन केरल विधानसभा की तर्ज पर कानून पास करके करना चाहिए था। ताकि राज्य सरकार उस बोर्ड के आदेश मानने को बाध्य हो। सिर्फ प्रशासनिक आदेशों से गठित किए गए बोर्ड के आदेश कोई नहीं मानेगा।
सीकर किसान आंदोलन के आश्वासन नहीं किए पूरे
प्रदेश सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति पर आंसू बहाने का नाटक करती है और दूसरी ओर कर्ज माफ ी के नाम पर भद्दा मजाक करती है। किसान सभा के बैनर तले हुए सीकर किसान आंदोलन के बाद सरकार ने जो आश्वासन दिए उन्हें भी पूरा नहीं किया गया है। सीकर जिले का पैदल जत्था 17 फरवरी को मांडोता में
रवाना होगा।
-पेमाराम, प्रदेशाध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान सभा