राधाकिशनपुरा फाटक पर अंडरपास का निर्माण रेलवे पांच माह बाद भी पूरा नहीं कर पाया है। गत 22 मई को शुरू हुआ यह कार्य दो माह में पूरा करना था।
क्षेत्र के लोगों को दीपावली पर यह रास्ता खुलने की उम्मीद थी। इसकी वजह यह थी कि अंडरपास का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। फाइबर सीट लगाना बाकी है। लेकिन रेलवे क्लियरेंस मिलने के बाद ही इसे आमजन के लिए खोलेगा।
पांच किलोमीटर का चक्कर, लाखों का खर्च
अंडरपास की इस समस्या से क्षेत्र के चार वार्ड के लोग परेशान है। रेलवे के वर्ष 2013 के सर्वे के अनुसार इस फाटक से प्रतिदिन 39 हजार वाहन गुजरते थे। शहर में आबादी और वाहनों के विस्तार की स्थति को देखा जाए तो पांच वर्ष में यह आंकड़ा डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ गया।
वाहन और क्षेत्र के लोग पिछले पांच माह से नवलगढ़ रोड पुलिया और पुरोहितजी की ढाणी के रास्ते से शहर में आने के मजबूर है। एक औसत आंकड़ा देखा जाए तो प्रत्येक वाहन चालक चार से पांच किलोमीटर का चक्कर लगाकर शहर में पहुंच रहा है। ऐसे में पांच माह में करोड़ों रुपए का पेट्रोल-डीजल का भार जनता पर पड़ गया।
जोखिम में जान डाल कर रहे हैं पटरी पार
राधाकिशनपुरा रेलवे फाटक पर अंडरपास का निर्माण पूरा नहीं होने से वाहनों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है, लेकिन हजारों यात्री हर दिन जान जोखिम में डालकर पटरी पार कर रहे हैं। यात्री पटरी पार करने के बाद अंडरपास के पास संकरे और जोखिम भरे रास्ते से भी जा रहे हैं।
गुरुवार को पत्रिका टीम ने पटरी पार कर रहे लोगों से बात की तो उनका कहना था कि पैदल पांच किलोमीटर का चक्कर लगाकर आना संभव नहीं है। ऐसे में वे यह जोखिम भोग रहे हैं। अंडरपास के मुहाने पर महज दो फिट की पगडंडी है। यहां पर पैर फिसलने पर व्यक्ति सीधा अंडरपास में गिरता है। जो कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकता है।
कार्यालयों का रास्ता
आरटीओ, समाज कल्याण, सिंचाई विभाग, अम्बेडकर छात्रावास साहित आधा दर्जन से अधिक स्कूल व निजी कॉलेजों का यह मुख्य रास्ता है। रेलवे ने 21 मई को यह रास्ता बंद कर दिया था। ऐसे में इन कार्यालयों में जाने वाले लोगों के साथ विद्यार्थी वर्ग भी प्रभावित है।
अंडरपास की निकासी खतरनाक
अंडरपास के निर्माण में निकासी के रास्ते पर स्लोब खतरनाक है। यहां पर खड़े स्लोब के साथ घुमाव भी है। दूसरा यहां आने-जाने के लिए अलग लाइन तय है। ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।