
AI generated photo
मूंडरू (सीकर)। हाल ही में कोटपूतली से किशनगढ़ तक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे निकाले जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। इसी के तहत जमीनों के खसरा नंबर जारी किए गए हैं और हाइवे के सीमांकन के निशान लगाए जा रहे हैं। सीमा तय होने के बाद से जिन गांवों और किसानों की जमीन सीमा रेखा में आ रही है, उनकी चिंता बढ़ गई है।
ग्रामीणों के मुताबिक मूंडरू क्षेत्र के डेरावाली, मऊ, अरनिया, महरौली सहित कई गांवों में सीमांकन किया गया है और लगभग 500 मीटर चौड़ाई के दायरे में निशान लगाए गए हैं। इस दायरे में किसानों की बेशकीमती जमीनें जा रही हैं और कई परिवार बेघर हो सकते हैं। कई किसानों की तो संपूर्ण जमीन ही हाईवे की जद में आ रही है।
कई लोगों की लाखों की कीमत की कोठियां व मकान भी सीमा में आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि एक्सप्रेस-वे के बनने से खेत दो भागों में बंट जाएंगे। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि प्रस्तावित एक्सप्रेसवे लगभग 15 फीट ऊंचाई पर बनाया जाएगा, जिससे समस्याएं और बढ़ सकती हैं।
कोटपूतली-किशनगढ़ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे 181 किमी लंबा प्रस्तावित प्रोजेक्ट है, जिसकी अनुमानित लागत 6,906 करोड़ है। यह दिल्ली-जयपुर यात्रा को आसान बनाएगा और खाटूश्यामजी, मकराना, कुचामन जैसे क्षेत्रों को जोड़ेगा। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है और निर्माण कार्य दिसंबर 2025 से शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके लिए लगभग 1,679 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता बताई गई है।
किसान वर्ग इसका विरोध कर रहा है क्योंकि परियोजना से उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण होगा और इससे खाद्य सुरक्षा व किसानों की आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
Published on:
08 Dec 2025 04:06 pm
बड़ी खबरें
View Allसीकर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
