
सीकर. इनमें कोई दोराय नहीं कि शेखावाटी वीरों की भूमि है। यहां के लोगों में देश की रक्षा का जज्बा कूट-कूटकर भरा हुआ है। बॉर्डर पार ही नहीं बल्कि भीतर भी जब-जब जरूरत पड़ी है, तब-तब शेखावाटी के जवानों ने बहादुरी दिखाई है। ऐसी ही वीरता की कहानी शहीद जोधाराम की है।
शहीद जोधाराम शेखावाटी के झुंझुनूं जिले के भड़ौंदा खुर्द गांव के रहने वाले थे। सीआरपीएफ में उग्रवादियों से सामना करते हुए 26 साल पहले वीरगति को प्राप्त हो गए। जोधाराम सीआरपीएफ की 20वीं बटालियन में चालक के पद पर तैनात थे। उग्रवादियों के हमले में जोधाराम अदम्य साहस दिखाते हुए जब तक लड़ते रहे तब तक उग्रवादियों को भाग खड़े होने पर मजबूर नहीं कर दिया। 15 दिसम्बर 2017 को जोधाराम की 26वीं पुण्यतिथि मनाई गई। गांव भड़ौंदा खुर्द व सीआरपीएफ ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
जोधाराम ऐसे हुए थे शहीद
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की 20वीं बटालियन मणिपुर में उग्रवादी संगठनों के खिलाफ अभियान का संचालन करने के लिए तैनात थी। 15 दिसम्बर 1991 को उग्रवादियों ने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस (सीआरपीएफ) की एस्कॉर्ट पार्टी पर हमला किया जब वह लोकटाक जा रही थी। उग्रवादियों ने एक पूर्व नियोजित हमला किया और जैसे ही ही गाड़ी नजदीक आई तो उस पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। बल की टुकड़ी ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की। इस दौरान भीषण मुठभेड़ हुई।
उग्रवादी सामरिक रूप से लाभदायक पोजीशन में थे। फिर भी टुकड़ी ने अपनी जान की परवाह किए बगैर जवाबी हमला किया और उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया। इस भीषण मुठभेड़ में चार अन्य जवानों के साथ हवलदार/चालक जोधाराम भी गोली लगने के कारण गंभीर रूप से घायल हो गए, परन्तु घायल होने के बावजूद वे उस समय तक बहादुरी से लड़ते रहे जब तक उग्रवादी भाग नहीं गए। अंत में जोधाराम शहीद हो गए। उनकी वीरता की मिसाल आज भी सीआरपीएफ में दी जाती है।
जोधाराम के बाद भी झुंझुनूं के जवानों ने सीआरपीएफ में बहादुरी दिखाई है। इसका ताजा उदाहरण छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सीआरपीएफ कैम्प में हुई फायरिंग है। साथी जवान ने एके47 से अन्य साथियों पर अंधाधुंध फायरिंग की तो झुंझुनूं की सूरजगढ़ तहसील के गांव बलौदा निवासी सीआरपीएफ के एएसआई राजवीर ने जान की बाजी लगाई थी, लेकिन ना राजवीर बच पाया ना साथी।
Published on:
16 Dec 2017 06:20 pm
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