READ : गलत काम करने से सास ने किया मना तो बहू हो गई तैयार, हर माह की कमाई 2 लाख रुपए
जानकारी के अनुसार डब्ल्यूएचओ का मानना है कि भारत को 2030 तक टीबी मुक्त घोषित किया जा सकता है। लेकिन, प्रधानमंत्री द्वारा टीबी मुक्त भारत के लिए 2025 तक का लक्ष्य रखा है। जिसकी पालना के लिए क्षय रोग नियंत्रण व इसकी रोकथाम के प्रयास केंद्र सरकार ने तेज कर दिए हैं। नया सकुर्लर जारी कर ऐसे निजी चिकित्सक, लैब टेक्नीशियन व कै मिस्ट के खिलाफ पहली बार सजा का प्रावधान रखा गया है। जो कि, इस जान लेवा बीमारी की जानकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से छिपा रहे हैं। इनके खिलाफ अब कार्रवाई की जा सकेगी।
READ : जिस युवती के कारण थाने पर पत्थर बरसे, एसएचओ का सिर फूटा उसने पुलिस को बताई यह चौंकाने वाली बात
1700 ले रहे निजी इलाज
जिले में टीबी से पीडि़त करीब 1700 मरीज हैं। जिनका उपचार निजी स्तर पर चल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि निजी स्तर पर इलाज होने वालों की जानकारी भी यदि विभाग के पास रहेगी तो टीबी को जड़ से खत्म किया जा सकता है। इधर, सरकारी स्तर पर 1400 रोगी अपना इलाज कराने के लिए सरकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंच रहे हैं। जिनकी देखरेख और उच्च स्तर पर मॉनीटरिंग की जा रही है।
इनका कहना है
टीबी रोग पर अंकुश पाने के लिए पहली बार सजा का प्रावधान लागू किया गया है। इसमें लापरवाही और जान बूझकर टीबी रोगी की जानकारी छुपाने वाले चिकित्सक, लैब संचालक व कैमिस्ट के लिए अलग-अलग सजा शामिल है। सजा के परिपत्र की जानकारी से सबको पाबंद कर दिया गया है। गलती करने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डा. विशाल सिंह भडिय़ा, जिला क्षय रोग अधिकारी सीकर