
पत्रिका फाइल फोटो
सीकर। सरकारी स्कूलों के प्राचार्य व व्याख्याताओं के तबादलों की चर्चा के बीच द्वितीय व तृतीय श्रेणी शिक्षकों का तबादलों का इंतजार करीब 20 महीने और बढ़ सकता है। इसकी वजह आगामी महीनों में प्रस्तावित विशेष मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम (एसआइआर), निकाय चुनाव व जनगणना संबंधी कार्य है।
जो एक के बाद एक लगातार चलने की संभावना से शिक्षकों के तबादलों पर संकट ला सकते हैं। क्योंकि इन तीनों कार्यों में शिक्षकों की ही अहम भूमिका होगी। ऐसे में ढाई साल से इंतजार कर रहे द्वितीय श्रेणी व सात साल से इंतजार कर रहे तृतीय श्रेणी शिक्षकों की उम्मीदों पर ये तीन कार्यक्रम फिर पानी फेर सकते हैं।
प्रदेश में पहले विशेष मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम चल सकता है। इसके लिए डीएलएम व एएलएम से लेकर बीएलओ तक का प्रशिक्षण हो चुका है। चुनाव आयोग कभी भी इसे शुरू कर सकता है। ये काम पूरा होने तक प्रदेश में दिसंबर में घोषित निकाय चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। इसी दौरान जनगणना का कार्य शुरू होना प्रस्तावित है, जो मार्च 2027 तक चलेगा।
प्रदेश में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले 2018 में हुए थे। इसी तरह द्वितीय श्रेणी शिक्षकों का 15 जनवरी 2023 के बाद स्थानांतरण नहीं हुआ है। ऐसे में शिक्षक संगठनों की मांग है कि सरकार को एसआइआर से पहले ही सभी संवर्गों के शिक्षकों के तबादले कर देने चाहिए।
इस बीच प्राचार्य व व्याख्याताओं के तबादलों की चर्चा ने जरूर जोर पकड़ लिया है। प्राचार्य की काउंसलिंग की बढ़ी तिथि को देखते हुए इसे पुख्ता सा माना जा रहा है। शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री उपेंद्र शर्मा का कहना है कि द्वितीय श्रेणी शिक्षक ढाई साल व तृतीय श्रेणी शिक्षक सात साल से सरकार को पहले ही स्थाई तबादला नीति लागू करनी चाहिए थी।
Published on:
24 Aug 2025 02:38 pm
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