
जिनको इस देश में रहने में कष्ट होता है, वे देश छोड़कर जा सकते हैं- प्रतापचन्द्र सारंगी
उमेश शर्मा/आबूरोड (सिरोही).
केंद्रीय राज्य मंत्री प्रतापचन्द्र सारंगी ( Union Minister Pratap Chandra Sarangi ) ने बड़ा तल्ख बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जिनको इस देश में रहने में कष्ट होता है, वे देश छोड़कर जा सकते हैं। लेकिन उन्हें देश को विभाजित करने का हक नहीं है। सारंगी ब्रह्माकुमारीज ( Brahma Kumaris ) के शान्तिवन परिसर में चल रही पांच दिवसीय ग्लोबल कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने पहुंचे हैं। अध्यात्म से एकता, शांति और समृद्धि विषय पर आयोजित सम्मेलन में सारंगी ने वैज्ञानिकों से अपील की मंगल में मानव जीवन अनुसंधान करने के बजाय मानव जीवन में मंगल लाने के लिए प्रयास करें।
ब्रह्माकुमारीज महान संगठन है
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज का पूरा वातावरण प्रभावित करने वाला है। हमारे देश में विज्ञान और अध्यात्म साथ चलता है। यूरोप में विज्ञान और अध्यात्म में प्रतिस्पर्धा है। ब्रह्माकुमारीज मानव समाज को ऊंचाई पर ले जाने का काम कर रही हैं। ये बहुत ही ऊंचा कॉन्सेप्ट है। ये एक दैवीय मिशन है। ब्रह्माकुमारीज महान संगठन है क्योंकि ये सबसे प्रेम करते हैं।
हमने कहीं नहीं बोला कि मुसलमान साथ नहीं रह सकते...
कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में सारंगी ने कहा कि जिनको वन्देमातरम नहीं कहना है, उन्हें दूसरा रास्ता खोज लेना चाहिए। ये मेरा व्यक्तिगत मत है। तलाश लें, वंदे मातरम का मतलब है भारत माता की जय। हिंदुस्तान का विभाजन सम्प्रदायिक आधार पर हुआ है। हमने कहीं नहीं बोला कि मुसलमान हमारे साथ नहीं रह सकते। लेकिन और विभाजन हम नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के एक हाथ में बंदूक हो तो बातचीत कैसे होगी।
मानवाधिकारवादियों को आम जनता की तकलीफ दिखाई नहीं देती
पाकिस्तान के विषय में सब कुछ भगवान की कृपा से हो रहा है। जिस अनुच्छेद 370 ( Article 370 )
को हटाना असंभव लगता था, वो आसानी से हो गया। लोग सोच करते थे कि रक्त की नदियाँ बहेंगी, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। मानवाधिकारवादियों को देश की आम जनता की तकलीफ दिखाई नहीं देती। लेकिन एक पुलिसवाले की गोली से एक आतंकवादी मर जाता है तो आकाश पाताल एक कर देते हैं।
थोड़ा बल प्रयोग करना चाहिए
सारंगी ने कहा कि जब लाखों कश्मीरी पंडित बहु बेटियों के साथ अत्याचार हुआ तो कोई आगे नहीं आया। जवानों के मरने से उनकी बहू बेटी विधवा होती हैं तो उनका दर्द भी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को नहीं दिखता। इन्होंने सिर्फ आतंकियों के मानवाधिकार के लिए ठेका ले रखा है। मेरा कहना कि देश की सुरक्षा के लिए अवांछनीय होते हुए भी थोड़ा बल प्रयोग करना चाहिए।
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Updated on:
01 Oct 2019 12:20 am
Published on:
30 Sept 2019 11:05 pm
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