
तेजी से घट रही गधों की संख्या (फोटो-फ्रीपिक)
श्रीगंगानगर। देशभर में गधों की संख्या से लिहाज से पहले स्थान पर आने वाले राजस्थान में इनकी आबादी में चिंताजनक रूप से गिरावट आ रही है। पिछली दो पशुगणना में गधों की संख्या में 70 प्रतिशत से अधिक गिरावट दर्ज की गई है। राजस्थान में 2012 में गधों की संख्या लगभग 81,470 थी जो 2019 में घटकर महज 23,374 रह गई।
पशु विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष हुई 21वीं पशुगणना में गधों की संख्या में और भी कमी आ सकती है। यह जैव विविधता की दृष्टि से भी बड़ा खतरा माना जा रहा है।
20वीं पशुगणना के अनुसार भारत में गधों की सख्या 1,22,899 है। राज्यसभा में हाल ही में दिए गए एक जवाब में केंद्र सरकार ने इसकी पुष्टि की है। लद्दाखी गधों और जांस्करी टट्टुओं की आबादी में भी चिंताजनक गिरावट आई है।
राजस्थान की रेबारी और गाड़िया लोहार जैसी खानाबदोश जनजातियां पारंपरिक रूप से गधों पर निर्भर रही हैं। पहले जो गधे ईंट भट्टों, निर्माण स्थलों और ग्रामीण क्षेत्रों में सामान ढोने के लिए अनिवार्य माने जाते थे, वे अब अनुपयोगी होते जा रहे हैं। अब ई-रिक्शा, छोटे वाहन और ट्रैक्टर जैसे आधुनिक विकल्पों ने ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में इनका महत्व कम कर दिया है।
चीन में पारंपरिक औषधियों को बनाने में गधों की खाल का इस्तेमाल किया जाता है। ये दवा जोड़ों के दर्द, नींद की कमी, उम्र बढ़ने की समस्याओं जैसी बीमारियों के इलाज में उपयोग की जाती है। इससे गधों की अंतरराष्ट्रीय तस्करी को बढ़ावा मिला है। पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी चीन में बड़े पैमाने पर गधों की तस्करी के मामले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर हो चुके हैं।
प्रदेश में गधों की तादाद चिंताजनक रूप से कम होती जा रही है। पिछली दो पशुगणना में इनकी संख्या में 70 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। ताजा पशुगणना में श्रीगंगानगर जिले में गधों की संख्या में फिर गिरावट देखने को मिली है। जिसको देखते हुए प्रदेशभर में गधों की संख्या और भी कम होने के आसार हैं। - डॉ. एसके श्योराण, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग, सूरतगढ़
Updated on:
18 Sept 2025 07:07 pm
Published on:
18 Sept 2025 05:35 pm
बड़ी खबरें
View Allश्री गंगानगर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
