
अनूपगढ़ पुल से निकलता घग्घर नदी का पानी, बंधा मजबूत करते किसान (फोटो-पत्रिका)
श्रीगंगानगर। घग्घर नदी में पानी की आवक लगातार बढ़ रही है और बॉर्डर क्षेत्र में शुक्रवार को ही पानी के प्रवेश की संभावनाएं तेज हो गई हैं। नवीनतम जानकारी के अनुसार, गुल्ला चिक्का में 48,534 सीएस, खानोरी में 13,200 सीएस, चांदपुर में 14,700 सीएस, ओट्टू डाउन स्ट्रीम में 21,000 सीएस, घग्गर सायफन में 16,602 सीएस, नाली बेड में 5,244 सीएस और जीडीसी क्षेत्रों में 11,308 से 5,900 सीएस तक पानी छोड़ा गया है।
इससे यह स्पष्ट है कि नदी का बहाव लगातार तेज हो रहा है और नाली बेड तथा जीडीसी में पानी की मात्रा लगातार बढ़ाई जा रही है। गुरुवार को कुल 5,240 क्यूसेक पानी छोड़ा, जो इससे पहले छोड़े गए 5,000 क्यूसेक से 240 क्यूसेक अधिक है। बढ़ते जलस्तर को देखते हुए किसान सतर्क होकर अपने तटबंधों को मजबूत करने में जुटे हैं। कई किसान पाइपों से खेतों में पानी पहुंचाने के लिए पाइप जमीन में गाड़ रहे हैं और अपने खेतों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं।
जैतसर कस्बे के नजदीक पांच जीबी से सूरतगढ़-अनूपगढ़ सडक मार्ग के समानांतर बह रही जिले की एकमात्र मौसमी नदी घग्घर में जलस्तर लगातार बढता जा रहा है। जो घग्घर नदी बहाव क्षेत्र के समानांतर की कृषिभूमि में ढाणियां बनाकर रह रहे किसानों की चिंता बढा सकता है। हालांकि प्रशासन ने घग्घर नदी में बढते जलस्तर को देखते हुए छह जीबी-बी को अति संवेदनशील श्रेणी के गांव में शमिल किया है। वहीं बहाव क्षेत्र के किसानों को नदी तट मजबूत करने के भी निर्देश दिए जा चुके हैं। गुरुवार को जीबी क्षेत्र के गांव छह जीबी, नौ जीबी, 11 जोइयांवाली सहित अनेक गांवों में घग्घर बहाव क्षेत्र के किसानों ने निजी संसाधनों के बूते घग्घर नदी के बंधे मजबूत करने का कार्य प्रारंभ कर दिया।
प्रशासन की ओर से घग्घर नदी के चेतक प्वाइंट पर बनाए गए नियंत्रण कक्ष में नियुक्त ग्राम विकास अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि बुधवार सुबह चेतक प्वाइंट पुल पर घग्घर नदी का जलस्तर बढकर 4 फीट हो गया। वहीं घग्घर नदी में गुरूवार को प्रवाहित हो रहे पानी की मात्रा शाम तक बढकर 5240 क्यूसेक हो गई। गांव 11 जोईयांवाली के किसान बुधराम बिश्नोई, गांव कल्याणकोट के किसान विनोद सिंह राठौड़ सहित अन्य किसानों ने बताया कि घग्घर नदी में बढते जलस्तर और वेग को देखते हुए नदी के तट पर मिट्टी डलवाकर तट मजबूत किए जा रहे हैं।
किसानों ने बताया कि यदि पानी हर वर्ष नियमित रूप से आता रहे तो यहां की फसलें जैसे सरसों महज एक-दो पानी की आवश्यकता में पूरी हो जाती हैं। किसानों ने बताया कि पिछले कुछ समय से मानसून की समय सीमा बदलने के कारण पानी देर से पहुंचा है। पहले जुलाई की शुरुआत में पानी पहुंच जाता था। किसान नरमा आदि की बिजान नहीं करते थे। लेकिन अब पानी की देर से आवक के कारण किसान घग्गर नदी में पानी आने की क्षीण संभावना के चलते बहाव क्षेत्र में भी फसल का बिजान कर लेते हैं।
लेकिन इस बार बहाव क्षेत्र में बोई गई फसलों के नष्ट होने का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने पटवारियों को सतर्क किया है और किसानों को अवैध बांध हटाने के निर्देश दिए हैं, ताकि जल प्रवाह में किसी प्रकार की बाधा न आए। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नाली बेड में पानी की मात्रा लगातार बढ़ाई जा रही है और किसान अपने खेतों, तटबंध और जल संसाधनों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहें। किसानों का कहना है कि यदि पानी नियमित रूप से आता रहे तो क्षेत्र की कृषि उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और फसलों का संरक्षण भी बेहतर होगा।
Published on:
05 Sept 2025 02:22 pm
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