
नष्ट हो रही पोषण क्षमता (फोटो- पत्रिका)
श्रीगंगानगर: श्रीगंगानगर की उपजाऊ धरती अब थकने लगी है, जिस मिट्टी ने पीढ़ियों तक अन्न उपजाया, वही अब पोषण के लिए तरस रही है। खेतों में सूक्ष्म तत्वों की भारी कमी, जैविक शक्ति का क्षय और जहरीले पानी की मार ने इस जमीन को संकट में डाल दिया है।
बता दें कि 95 हजार से अधिक नमूनों की जांच ने जो तस्वीर दिखाई है, वह सिर्फ वैज्ञानिक नहीं, बल्कि सामाजिक चेतावनी भी है। अगर अब भी किसान नहीं जागे, तो उपजाऊ धरती बंजर बनने की ओर बढ़ सकती है। लगातार एक ही फसल बोने, रासायनिक खादों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग तथा सिंचाई जल में बढ़ता प्रदूषण कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति छीन रहा है।
खेतों में जिंक और आयरन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी पाई गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह स्थिति कृषि उत्पादन के लिए गंभीर चुनौती है। मिट्टी की पोषण क्षमता घटने से उपज पर असर पड़ रहा है। अनूपगढ़ और सूरतगढ़ क्षेत्र में कुछ जगहों पर प्रति बीघा उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई है।
कृषि अनुसंधान केंद्र स्थित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला की ओर से पिछले चार वर्षों में जांचे गए 95 हजार 951 नमूनों के विश्लेषण में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। लगभग 100 प्रतिशत नमूनों में ऑर्गेनिक कार्बन यानी जैविक खाद की कमी पाई गई है। यह दर्शाता है कि किसान ने गोबर की खाद, केंचुआ खाद और हरी खाद का उपयोग बंद कर चुके हैं। इस वित्तीय वर्ष में अक्टूबर तक मिट्टी जांच के 6,470 नमूने लिए जा चुके हैं।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, नहरों से मिल रहे सिंचाई के पानी में पंजाब के औद्योगिक क्षेत्रों से आने वाले अपशिष्ट युक्त पानी में जहरीले रासायनिक तत्व घुल रहे हैं, जो धीरे-धीरे मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर रहे हैं।
किसान हर वर्ष मिट्टी की गुणवत्ता की जांच कराएं। यदि समय रहते मिट्टी-पानी की जांच नहीं करवाई और खादों का असंतुलित उपयोग जारी रखा, तो आने वाले वर्षों में फसल उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है।
-सत्यप्रकाश साईच, प्रभारी, मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला
किसान पारंपरिक जैविक खादों की ओर लौटें, फसल चक्र अपनाएं और रासायनिक पदार्थों के अंधाधुंध प्रयोग पर नियंत्रण करें। धरती को भी पोषण चाहिए। अगर किसानों ने ध्यान नहीं दिया तो जिले की उपजाऊ मिट्टी आने वाले वर्षों में बंजर बनने की ओर बढ़ सकती है।
-डॉ. मिलिंद सिंह, सेवानिवृत्त उप निदेशक कृषि
| फसल | औसत उत्पादन (किग्रा/हेक्टेयर) | संभावित उत्पादन (किग्रा/हेक्टेयर) |
|---|---|---|
| गेहूं | 4,508 | 2,931 |
| जौ | 4,385 | 2,851 |
| चना | 760 | 494 |
| सरसों | 1,656 | 1,077 |
मृदा में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण श्रीगंगानगर क्षेत्र में प्रमुख फसलों की औसत पैदावार में लगभग 30 से 40 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई है।
Published on:
06 Nov 2025 11:23 am
बड़ी खबरें
View Allश्री गंगानगर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
