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पुवर्ती में बदलाव की नई दास्तान: CRPF की मानवता ने बचाई प्रसूता और नवजात की जान, नक्सली दहशत से उबर रहा गांव

Sukma News: सुकमा जिले के पुवर्ती गांव में गुरुवार को ऐसा ही उदाहरण सामने आया, जब सीआरपीएफ के जवानों ने तत्परता और संवेदनशीलता दिखाते हुए एक प्रसूता और उसके नवजात की जान बचा ली।

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बदलाव की नई पहचान बना पुवर्ती (फोटो सोर्स- पत्रिका)

बदलाव की नई पहचान बना पुवर्ती (फोटो सोर्स- पत्रिका)

CG News: नक्सल प्रभावित इलाकों की पहचान लंबे समय तक भय और दहशत से जुड़ी रही है। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। सुकमा जिले के पुवर्ती गांव में गुरुवार को ऐसा ही उदाहरण सामने आया, जब सीआरपीएफ के जवानों ने तत्परता और संवेदनशीलता दिखाते हुए एक प्रसूता और उसके नवजात की जान बचा ली।

ग्राम पुवर्ती निवासी मांडवी सुक्की, पत्नी मांडवी कोसा, गर्भावस्था के दौरान अचानक तेज दर्द से पीड़ित हो गईं। परिवारजन उन्हें तुरंत पुवर्ती फील्ड अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन हालत गंभीर देखते हुए जवानों ने स्थिति की गंभीरता समझी और देर किए बिना 150वीं बटालियन सीआरपीएफ की मदद से एम्बुलेंस की व्यवस्था की। महिला को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जगरगुंडा पहुँचाया गया, जहाँ समय पर चिकित्सा सुविधा मिलने से माँ और बच्चा दोनों सुरक्षित बच गए।

ग्रामीणों ने राहत की साँस ली और सुरक्षा बलों के इस मानवीय प्रयास की सराहना की। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले ऐसे हालात में न तो स्वास्थ्य सुविधा मिलती थी और न ही सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था, लेकिन अब सीआरपीएफ की उपस्थिति से विश्वास कायम हुआ है। कैम्प में तैनात डॉक्टर लगातार ग्रामीणों का नि:शुल्क इलाज करते हैं और दवाइयाँ भी मुफ्त दी जाती हैं। इससे स्वास्थ्य सुविधाएँ सीधे गाँव तक पहुँच रही हैं। यह पहल न केवल चिकित्सा क्षेत्र में सुधार का संकेत है, बल्कि प्रशासन और सुरक्षा बलों के प्रति ग्रामीणों के भरोसे को भी और गहरा बना रही है।

संयुक्त प्रयासों से लिखी जा रही विकास की गाथा

सीआरपीएफ व प्रशासन ने साबित कर दिया है कि यदि संवेदनशीलता और समर्पण से काम किया जाए तो सबसे कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक बदलाव संभव है। पुवर्ती गाँव की यह घटना केवल एक माँ और बच्चे को जीवनदान देने की कहानी नहीं है, बल्कि उस विश्वास की मिसाल भी है ।

बदलाव की नई पहचान बना पुवर्ती

कभी नक्सली कमांडर हिड़मा के नाम से भयभीत रहने वाला यह इलाका अब विकास की नई कहानी लिख रहा है। सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएँ यहाँ पहुँच चुकी हैं। गाँव में आंगनबाड़ी भवन और स्कूल खुलने से शिक्षा की रोशनी भी घर-घर तक पहुँच रही है। ग्रामीण अब दहशत से बाहर निकलकर नए सपनों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।