अपनी परेशानी को लेकर चुप रहने वाली छात्राएं आखिरकार पत्रकारों के पास पहुंचीं और अपना दर्द बयां किया। छात्राओं ने बताया कि इस छात्रावास में जिमेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। जब वे शिकायत करती हैं, तो उन्हें बेदखल करने की धमकी दी जाती है। इन छात्राओं का कहना है कि वे दूर-दराज के इलाकों से यहां पढ़ाई के लिए आई हैं और अगर उन्हें
हॉस्टल से निकाला जाता है तो उनका भविष्य खराब हो सकता है। इसलिए वे मजबूरी में कीड़े वाले भोजन को भी खा रही हैं, क्योंकि उनके घरवाले भी उनकी शिक्षा को लेकर चिंतित हैं।
एक छात्रा ने नाम न बताने की शर्त पर पत्रिका को बताया कि
छात्रावास की अधीक्षिका से कई बार शिकायत की गई थी, लेकिन उन्होंने हमेशा बात टाल दी और धमकाकर चुप करा दिया। रसोइयों से भी कई बार कहा गया कि चावल साफ करके पकाएं और दाल को पानी जैसा न बनाएं, लेकिन उनका कहना हैं कि चावल खराब है उसमें कीड़े हैं साफ करने में बहुत समय लगता है और जितना दाल मेडम देती हैं उतना ही बनाया जाता हैं इसलिए सभी को दाल पर्याप्त मात्रा में देने के लिए पानी मिलाना पड़ता हैं।
राजनैतिक संरक्षण प्राप्त
छात्राओं ने यह भी बताया कि अधिकारी कार्रवाई करने से कतराते हैं, क्योंकि अधीक्षिका को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है, और इस वजह से वे इस मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। यह स्थिति जिले में शिक्षा और बालिकाओं के कल्याण के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों की गंभीरता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है।
नोटिस जारी कर दिया गया है
इस संबंध में जानकारी लगते ही संबंधित आश्रम अधीक्षिका को नोटिस जारी कर दिया गया है। अगर लापरवाही की जा रही है तो संबंधित अधीक्षिका के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शरदचंद शुक्ला, सहायक आयुक्त