
Covid ward Bishrampur
वेद प्रकाश मिश्रा/बिश्रामपुर. कोविड का खतरा फिर बढ़ता जा रहा है, प्रदेश में बिलासपुर व अन्य स्थानों पर मरीज भी पाए गए हैं। हालांकि जिले में अब तक एक भी मरीज नहीं मिले हैं, फिर भी स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। लेकिन बिश्रामपुर क्षेत्र में कोविड से स्वास्थ्य सुरक्षा की पोल खुलती नजर आ रही है। दरअसल वर्ष 2021-22 में जिस 20 बिस्तरों वाले अत्याधुनिक कोविड वार्ड को लाखों रुपए की लागत से तैयार किया गया था, वह आज खंडहर (Corruption in Covid Ward) का रूप ले चुका है। इस वार्ड की वर्तमान स्थिति न सिर्फ सरकारी लापरवाही को उजागर करती है बल्कि डीएमएफ मद से किए गए खर्च पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
कोविड की पहली और दूसरी लहर के समय बिश्रामपुर में एक कोविड वार्ड का निर्माण कराया गया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा यह वार्ड (Corruption in Covid Ward) बनाया गया था। यहां पर आज की स्थिति यह है कि न वार्ड में ढंग की छत बची है, न गर्मी से राहत देने वाले उपकरण।
जो फॉल सीलिंग कराई गई थी, वह भी निर्माण के महज कुछ ही दिनों बाद टूटकर गिर गया। यहां पर न ही मरीजों के लिए कोई पंखा, न वेंटिलेशन और न ही ऑक्सीजन की स्थायी व्यवस्था दिखाई पड़ रही है। जिस वार्ड को संक्रमण के गंभीर मामलों के लिए तैयार किया गया था, वहां आज इंसानी इलाज तो दूर इंसान के ही बैठने लायक व्यवस्था तक नहीं है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस निर्माण में भारी भ्रष्टाचार (Corruption in Covid Ward) हुआ है। डीएमएफ जैसे महत्वपूर्ण फंड से कोविड सुविधा निर्माण के नाम पर जो बजट स्वीकृत हुआ था, वह कागजों में ही बह गया। लाखों रुपए खर्च हुए लेकिन गुणवत्ता नदारद रही।
बताया जा रहा है कि विभागीय अधिकारियों की मॉनिटरिंग पूरी तरह से गायब थी और यही वजह रही कि ठेकेदारों को घटिया सामग्री का उपयोग करने का खुला अवसर मिला। इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक बात यह है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह मौन है।
सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस भ्रष्टाचार (Corruption in Covid Ward) के खिलाफ कोई उचित कदम उठाएगा या फिर स्थिति ज्यों की त्यों ही बनी रहेगी। सामाजिक संगठन, व्यापारी वर्ग और आम लोग इस बात से आक्रोशित हैं कि जिस कोविड वार्ड पर जनता का पैसा खर्च हुआ, वह आज लावारिस इमारत में बदल गया है।
कई लोगों ने यहां तक कहा कि यदि जल्द इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे जन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। विशेषज्ञों की मानें तो यदि बिश्रामपुर जैसे क्षेत्रे में इस तरह की लापरवाही रही तो कोरोना की अगली लहर में यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा (Corruption in Covid Ward) जाएगी। सवाल यह भी उठता है कि लाखों खर्च करने के बाद भी अगर एक कोविड वार्ड खड़ा नहीं हो पाया तो आखिर इसका जवाबदेह कौन है।
यहां बताना लाजिमी होगा कि सीएचसी बिश्रामपुर में निर्माण कराए गए 20 विस्तरीय कोविड वार्ड (Corruption in Covid Ward) में 100 बिस्तर डालकर पीडि़त मरीजों के उपचार की व्यवस्था शुरू करा दी गई थी।
ऐसी स्थिति में अंदाज लगाया जा सकता है कि कोविड पीडि़त मरीजों को किस तरह से उपचार के लिए जद्दोजहद करने विवश होना पड़ रहा था। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो 20 बिस्तर के नाम पर टेंडर जारी कर 100 बिस्तर का कार्य कैसे कराया गया, इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है।
सूरजुपर के बीएमओ डॉ. अमित भगत का कहना है कि कोविड के मरीज मिलते हैं तो तत्काल उससे निपटने की तैयारी कर रखी गई है। ऑक्सीजन भी यहां पर पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है। अगर स्थिति बिगड़ती (Corruption in Covid Ward) भी है तो हमारे पास पर्याप्त संसाधन व तैयारी है, जिससे हम निपट सकते हैं।
Updated on:
08 Jun 2025 06:20 pm
Published on:
08 Jun 2025 05:42 pm
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