
SURAT EDUCATION : वीएनएसजीयू में फिर उठने लगी छात्रसंघ चुनाव को लेकर मांग
सूरत.
वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय (वीएनएसजीयू) संबद्ध महाविद्यालयों में फिर छात्रसंघ चुनाव को लेकर मांग उठने लगी है। चुनाव के लिए विद्यार्थियों से फीस वसूलने के बावजूद चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं। पिछले शैक्षणिक सत्र में दो साल बाद छात्रसंघ चुनाव करवाए गए थे। चुनाव में फिर देर न हो, इसलिए अभी से इसकी मांग की जा रही है। सिंडीकेट सदस्य ने नए नियमों के अनुसार चुनाव करवाने की मांग की है।
पहले विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और संबद्ध महाविद्यालयों में हर साल छात्रसंघ चुनाव होते थे। छात्र मतदान कर महासचिव और अन्य पदों पर चयन करते थे। पिछले सत्र से पहले दो साल तक विश्वविद्यालय के किसी विभाग और संबद्ध महाविद्यालयों में चुनाव नहीं हुए। महाविद्यालयों के प्राचार्यों को खुश रखने के चक्कर में विद्यार्थियों के लोकतांत्रिक अधिकार को छीना गया। प्राचार्य छात्रसंघ चुनाव का विरोध कर रहे थे।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्राचार्यों से चुनाव के बारे में राय मांगी तो ज्यादातर ने चुनाव नहीं करवाने की राय दी थी। सिंडीकेट में इस मामले को दबा दिया गया था, क्योंकि तब सिंडीकेट के चुनाव होने थे, जिसमें प्राचार्यों के मत महत्वपूर्ण थे। सिंडीकेट चुनाव के बाद जनवरी में छात्रसंघ चुनाव हुए। उसके बाद मार्च में परीक्षा शुरू हो गई और शैक्षणिक सत्र समाप्त हो गया। इस बार ऐसा न हो, इसलिए अभी से सिंडीकेट सदस्य भावेश रबारी ने चुनाव करवाने की मांग की है। हाल ही प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण हुई है। तुरंत चुनाव करवाने की मांग के साथ कुलपति को ज्ञापन सौंपा गया है।
चुनाव नए नियमों के अनुसार करवाने की मांग की गई है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे। ज्ञापन में कहा गया है कि प्रवेश प्रक्रिया लंबी चली है, हजारों के प्रवेश देर से हुए हैं, इसलिए विद्यार्थियों की कक्षा में उपस्थिति को मुद्दा न बनाया जाए। विद्यार्थियों की उम्र सीमा में बढ़ोतरी की जाए। चुनाव के 21 दिन पहले अधिसूचना जारी की जाए, 7 दिन नामांकन के और 7 दिन प्रचार के लिए दिए जाएं। उम्मीदवारों का नामांकन उनकी उपस्थिति में जांचा जाए और नामांकन रद्द करने का कारण लिखित में दिया जाए।
फीस ले ली तो चुनाव भी हों
कॉलेज में स्टूडेंट यूनियन फीस के नाम पर प्रति विद्यार्थी 100 रुपए वसूले जाते हैं। दो सेेमेस्टरों में प्रति विद्यार्थी 200 रुपए की वसूली होती है। विश्वविद्यालय के 22 से अधिक विभाग तथा 300 से अधिक महाविद्यालय हैं। इनमें लाखों विद्यार्थी पढ़ते हैं। चुनाव के नाम पर 4 से 5 करोड़ रुपए वसूले जा चुके हैं। पिछले दो साल भी यह वसूली की गई थी, लेकिन चुनाव नहीं करवाए गए थे। विरोध बढऩे के बाद जनवरी में चुनाव करवाए गए। इस बार दीपावली वेकेशन से पहले चुनाव करवाने की मांग की जा रही है। जब भी महासचिव पद के चुनाव की बात आती है तो विश्वविद्यालय सारा मामला सिंडीकेट पर छोड़कर जबाव देने से बचने का प्रयास करता है। दूसरी ओर सिंडीकेट इस मामले को प्राचार्यों पर छोड़ देती है। पिछले शैक्षणिक सत्र में सितम्बर 2018 में हुई सिंडीकेट बैठक में महाविद्यालयों में चुनाव करवाने का आदेश जारी कर दिया गया था, लेकिन चुनाव जनवरी 2019 में करवाए गए। इस बार चुनाव होंगे या मामला फिर सिंडीकेट में पहुंचेगा, इसको लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।
Published on:
26 Sept 2019 01:58 pm
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