
टोरडी सागर बांध। फोटो: पत्रिका
टोडारायसिंह। रियासत काल में निर्मित टोरडी सागर बांध की चार दशक के रेकार्ड में पहली बार जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में चादर चली है। जबकि पिछले 29 वर्षों में तीसरी बार चादर चलने के बाद लगातार 64 दिन से ओवरफ्लो जारी है।
सन 1887 में सहोदरा नदी पर टोरडी गांव के निकट स्थित टोरडी सागर बांध का निर्माण कराया था। बीते चार दशक के सरकारी रेकार्ड अनुसार टोरडी सागर बांध पूर्ण भराव के साथ पहली बार जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में गत 5 जुलाई को चादर चली।
इससे पहले 5 अगस्त को 1996 में पहली बार, 5 अगस्त 2024 को दूसरी बार चली थी। इस दरमियानबांध की करीब तीन से 4 फीट चादर लंबे समय तक चलने से टोडारायसिंह-मालपुरा मार्ग डेढ़ माह से अधिक समय तक बाधित रहा। डाउन स्ट्रीम के दर्जनों गांव अनावश्यक पानी से प्रभावित रहे।
इधर, 29 वर्ष में तीसरी बार पूर्ण भराव पर टोडारायसिंह, मालपुरा ही नहीं बल्कि जिले के टोंक व पीपलू क्षेत्र में खुशी है। गत वर्ष बांध की साढ़े 3 फीट से अधिक चादर चली तथा ओवर लो के कारण टोडारायसिंह-मालपुरा मार्ग डेढ़ माह तक अवरूद्ध रहा।
इस बार गत 5 जुलाई को चादर चली। स्थिति यह है कि एक से तीन फीट तक चादर चलने के दरमियान मार्ग लगातार 38 दिन मार्ग अवरूद्ध रहा। लगातार ओवरफ्लो के बीच फिर तेज बारिश के बाद वर्तमान में टोरडी सागर बांध की 2 फीट एक इंच चादर चल रही है।
30 फीट भराव क्षमता वाले टोरडी सागर बांध से सिंचाई को लेकर तात्कालीन समय से तीन नहरे साउथ कैनाल, नोर्थ कैनाल व मीडिल कैनाल का निर्माण किया गया। करीब 175 किमी परिधि क्षेत्र में निर्मित नहरों से वर्तमान में मालपुरा आंशिक, टोडारायसिंह, पीपलू व टोंक तहसील क्षेत्र के 64 गांवों की हजारों हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है।
Published on:
07 Sept 2025 01:24 pm
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