animal hospital डेढ़ साल से पशु चिकित्सालय पर लटका है उदासीनता का ताला, पई मुख्यालय स्थित पशु चिकित्सालय का मामला
उदयपुर/ झाड़ोल. animal hospital उदयपुर में ग्रामीण स्वास्थ्य को लेकर ही सरकार के स्तर पर उदासीनता नहीं बरती जा रही है बल्कि पशुधन को लेकर भी सरकारी महकमे गंभीर नहीं है। इसका एक उदाहरण गिर्वा उपखण्ड क्षेत्र स्थित पई ग्राम पंचायत स्थित पशुपालन विभाग का चिकित्सालय है। क्षेत्र की पशुधन आधारित व्यवस्था को दरकिनार कर यहां पर सरकारी नेतृत्व में पशुओं की अनदेखी की जा रही है। आलम यह है कि पशुओं के मामूली उपचार के लिए पशुपालकों को उदयपुर मुख्यालय पर आना पड़ रहा है। इसके लिए वाहन के नाम पर जेब से अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। दूसरी ओर मुख्यालय पर दिखावे के तौर पर बना हुआ पशु चिकित्सालय डेढ़ साल से बंद है। तत्कालीन पशु कंपाउंडर के तबादले के बाद से इस केंद्र पर ताला लटका हुआ है। बंद चिकित्सालय से केवल पई के पशुपालक ही नहीं वरन समीपवर्ती राजस्व गांव कुमारीखेड़ा, रामवास, पीपलवास के ग्रामीण भी खामियों से आए दिन जूझ रहे हैं। बता दें कि यह अनदेखी तब बनी हुई है, जब स्थानीय सरपंच की ओर से लगातार कई बार मुख्यालय स्थित विभागीय कार्यालय में पशु चिकित्सालय में स्टाफ लगाने की मांग की जा चुकी है। बावजूद इसके विभागीय स्तर पर समस्या के समाधान को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। न ही किसी तबके ने ग्रामीणों को हो रही परेशानी के लिए सुध ली।
किसी ने नहीं सुनी
ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित पशु चिकित्सालय डेढ़ साल से बंद है। विभागीय अधिकारियों को सूचित करने के बाद भी समस्या को लेकर कोई हल नहीं निकला है। पशुपालकों को समस्याएं झेलनी पड़ रही है।
देवीलाल, सरपंच, ग्राम पंचायत पई
सरकार की मेहर
उदयपुर जिले में 70 फीसदी पशु चिकित्सक एवं स्टाफ के पद रिक्त हैं। सरकार स्तर पर रिक्त पद भरने के बाद समस्या का हल संभव है। animal hospital हमारी तरफ से कोई ढिलाई नहीं हो रही।
डॉ. भूपेंद्र भारद्वाज, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग