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राजस्थान में 3 जिलों की सीमा पर बना जाखम बांध छलका, उदयपुर में 7 डैम और तालाब अब भी रीते

मानसून की अच्छी बरसात के बावजूद मावली-वल्लभनगर क्षेत्र के बागोलिया, भट्ट, खरताणा और सालेरा बांध खाली है। कैचमेंट पर अतिक्रमण और समतल भूभाग से पानी की आवक नहीं हो रही है। बागोलिया बांध 1956 में बना और साल 2006 के बाद कभी नहीं भरा।

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Jakham dam

Jakham dam (Patrika Photo)

उदयपुर: 26 जून से सक्रिय मानसून ने जिले के जलस्रोतों को लबालब कर दिया। हैरानी की बात ये कि 67 दिन में अब भी जिले के 4 जलस्रोतों में एक बूंद भी आवक नहीं हुई। वहीं, 3 में मामूली पानी पहुंचा है। खाली रह गए बांध वल्लभनगर-मावली क्षेत्र के हैं। इनका अपना सीधा कोई कैचमेंट एरिया नहीं है।


जितना कैचमेंट एरिया था, उस पर अतिक्रमण हो गए तो पानी की आवक ही नहीं रही। इन जलस्रोतों को भरने के लिए पानी लाने की योजनाएं कई बार बनी, लेकिन काम अब तक नहीं हुआ है। ऐसे में प्रभावित बांध कभी भर नहीं पाते हैं, जिस तरह की परेशानी बागोलिया बांध की है, उसी तरह से भट्ट बांध, खरताणा बांध, सालेरा बांध भी समस्याग्रस्त है।


सात दशक पहले बना बांध, सिर्फ एक बार 2006 में भरा


बागोलिया बांध साल 1956 में बना था। यह मावली क्षेत्र में पेयजल एवं सिंचाई का बड़ा स्रोत माना गया, लेकिन इसमें पानी की आवक नहीं होती। यह बांध आखिरी बार वर्ष 2006 में ओवरफ्लो हुआ था। इसके बाद बांध में कभी मामूली आवक हुई तो ज्यादातर समय खाली रहा है। हर साल इसमें डेड स्टोरेज जितना पानी ही आता है। ऐसे में मानसून की अच्छी बरसात के बावजूद बागोलिया बांध नहीं भर पाता।


बागोलिया को भरने की घोषणा, काम बाकी


उदयसागर झील से मावली ब्लॉक के सबसे बड़े बागोलिया बांध को भरने के लिए घोषणा पिछले साल की गई थी। बांध भरे जाने की स्थिति में मावली के 17 गांवों का 3676 हेक्टेयर एरिया सिंचित होना संभव है। बांध की क्षमता 686 एमसीएफटी है। उदयसागर से जुड़ी 14.8 किमी लंबी बायीं मुख्य नहर पर 30 किमी की नई नहर बनाना प्रस्तावित है। प्रोजेक्ट पर 156 करोड़ खर्च होना संभव है।


इनका जलस्तर शून्य (जलस्रोत भराव आवक क्षमता-फीट में)


-भट्ट बांध 9.50 00
-बागोलिया बांध 21.50 00
-खरताणा बांध 11.50 00
-सालेरा बांध 9.25 00


इनमें मामूली आवक (जलस्रोत भराव आवक क्षमता-फीट में)


-घासा बांध 14 5.2
-ढूंढ़िया बांध 5.60 3.3
-फीला बांध 22.० 0.6


118 गांवों के लिए संजीवनी


जाखम बांध धरियावद क्षेत्र के किसानों के लिए संजीवनी है। क्योंकि कृषि क्षेत्र होने से यहां रबी फसल को सिंचाई का पानी इसकी दाई और बाई मुख्य नहर के जरिए मिलता है। धरियावद उपखंड में करीब 28 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होती है। धरियावद के 118 गांव लाभान्वित होते हैं।


31 मीटर क्षमता


जाखम बांध का नैसर्गिंक सौंदर्य देखते ही बनता है। 31 मीटर भराव क्षमता वाला यह बांध प्रतापगढ़-उदयपुर-चितौड़गढ़ तीन जिलों की सीमा एवं सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य की गोद में बना हुआ है। जाखम बांध अपनी अनुपम प्राकृतिक छटा के लिए भी जाना जाता है।


समतल क्षेत्र होने से पानी का बहाव भी नहीं


मावली क्षेत्र में हमेशा ही बरसात की कमी रहती रही है। समतल क्षेत्र होने से पानी का बहाव भी नहीं है। ऐसे में यहां भूजल की भी कमी बनी रहती है। लिहाजा ये बांध बरसात के बावजूद खाली ही रह जाते हैं। पानी को डायवर्ट करके इंटर लिंकिंग की योजनाएं बनाई जाने पर ही भरना संभव है।