जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू ) में संचालित मानव संसाधन विकास (एचआरडी) केंद्र के निदेशक प्रो. राजेश दुबे विवि रिकॉर्ड के अनुसार पिछले चार महीने से वहां से गायब हैं, वहीं डॉ. दुबे उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाडिय़ा विवि में सेवाएं दे रहे हैं। चार माह से गायब होने के बावजूद जेएनवीयू ने प्रो. दुबे को न तो नोटिस दिया है और ना ही वित्तीय अनियमितता का कोई मामला दर्ज करवाया है। अलबत्ता यह जरूर है कि राजभवन को मामला पता चलने पर उसने हाल ही में जेएनवीयू रजिस्ट्रार भंवर सिंह सांदू को बुलाकर प्रो. दुबे से जुड़े सभी दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं। इस मामले की जांच कर रहे लोकायुक्त एसएस कोठारी ने भी जेएनवीयू से जवाब तलब कर प्रो. दुबे से संबंधित जानकारी मांगी है।
विवि में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से संचालित एचआरडी केंद्र में 2016 में डॉ. दुबे निदेशक बनकर आए। अनियमितता के मामले में जेएनवीयू ने प्रो. दुबे को एक बार बर्खास्त कर दिया था, लेकिन कोर्ट से अनुमति लेकर वे फिर से कुर्सी पर बैठ गए। दुबे ने 4 जुलाई को जेएनवीयू से बगैर इजाजत के ही सुखाडिय़ा विवि में बायोटेक्नोलॉजी विभाग में प्रोफेसर पद के लिए आवेदन कर वहां जॉइनिंग दे दी। इसके लिए डॉ. दुबे ने विवि से आवेदन पत्र भी अग्रेषित नहीं करवाया। इसके उलट वे एचआरडी केंद्र में ही कार्यरत ठेकाकर्मी डॉ. श्वेता गहलोत से कार्यमुक्ति के प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करवाकर रीलिव हो गए। उदयपुर में सुखाडिय़ा विवि ने उन्हें एनआरसी का निदेशक भी बना दिया।
READ MORE : विद्यार्थियों को अब संक्षिप्त प्रश्नों में भी मिलेंगे अधिक विकल्प, सीबीएसई नेे किया नवाचार उदयपुर के कुलपति मेहरबान मामले का खुलासा होने पर सुखाडिय़ा विवि के रजिस्ट्रार हिम्मत सिंह भाटी ने प्रो. दुबे का वेतन रोक लिया, लेकिन विवि के कुलपति प्रो. जेपी शर्मा ने डिप्टी रजिस्ट्रार मुकेश बारबर के माध्यम से दुबे को वेतन जारी करवाने के आदेश दे दिए। भाटी ने फिर से दुबे का वेतन जारी करने पर रोक लगा दी। प्रो. दुबे पिछले चार महीने से सुखाडिय़ा विवि के गेस्ट हाउस में रुके हुए हैं जबकि विवि नियमानुसार केवल सात दिन तक ही कोई विवि गेस्ट हाउस में रह सकता है। यह मामला पूर्व में भी पत्रिका ने उठाया था।
4 दिन पहले जोधपुर से लौटे खाली हाथ वित्तीय अनियिमतता का मामला होने से जेएनवीयू ने प्रो. दुबे को गत एक साल से वेतन नहीं दिया। प्रो. दुबे चार दिन पहले जोधपुर गए थे और जेएनवीयू कुलपति प्रो. गुलाबसिंह चौहान व रजिस्ट्रार सांदू से मिलकर आखिरी पे-स्लिप देने की मांग की, लेकिन विवि ने न तो उन्हें पे-स्लिप दी और ना ही एनओसी जारी की। विवि के रिकॉर्ड में प्रो. दुबे अब भी जेएनवीयू के ही कर्मचारी बताए जा रहे हैं।
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राजभवन को दिए सारे दस्तावेज प्रो. दुबे को हमने अब तक एनओसी नहीं दी है। वे बगैर रीलिव होकर उदयपुर गए हैं। राजभवन और लोकायुक्त ने उनसे जुड़े दस्तावेज मांगे थे। हमने रजिस्ट्रार सांदू को व्यक्तिगत रूप से राजभवन भेजकर मामला स्पष्ट कर दिया है। अब राजभवन आगे की कार्रवाई करेगा।
प्रो. गुलाबसिंह चौहान, कुलपति, जेएनवीयू
राजभवन को दिए सारे दस्तावेज प्रो. दुबे को हमने अब तक एनओसी नहीं दी है। वे बगैर रीलिव होकर उदयपुर गए हैं। राजभवन और लोकायुक्त ने उनसे जुड़े दस्तावेज मांगे थे। हमने रजिस्ट्रार सांदू को व्यक्तिगत रूप से राजभवन भेजकर मामला स्पष्ट कर दिया है। अब राजभवन आगे की कार्रवाई करेगा।
प्रो. गुलाबसिंह चौहान, कुलपति, जेएनवीयू
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फिलहाल हमारे ही कर्मचारी है प्रो. दुबे हमारे ही कर्मचारी हैं। जेएनवीयू से एनओसी आती रहेगी। वे यूजीसी के द्वारा नियुक्त किए गए थे। मामला यूजीसी के पास भी है। हमें उनसे कोई शिकायत नहीं है।
प्रो. जेपी शर्मा, कुलपति, मोहनलाल सुखाडिय़ा विवि उदयपुर
फिलहाल हमारे ही कर्मचारी है प्रो. दुबे हमारे ही कर्मचारी हैं। जेएनवीयू से एनओसी आती रहेगी। वे यूजीसी के द्वारा नियुक्त किए गए थे। मामला यूजीसी के पास भी है। हमें उनसे कोई शिकायत नहीं है।
प्रो. जेपी शर्मा, कुलपति, मोहनलाल सुखाडिय़ा विवि उदयपुर