scriptआठ साल से बिछड़े मां-बेटे का हुआ संक्रान्ति पर यूूं मिलन, इनकी दास्‍तां सुन आपकी भी छलछला आ जाएंगी आंखें | Mother Meets Son After 8 years Udaipur | Patrika News

आठ साल से बिछड़े मां-बेटे का हुआ संक्रान्ति पर यूूं मिलन, इनकी दास्‍तां सुन आपकी भी छलछला आ जाएंगी आंखें

locationउदयपुरPublished: Jan 15, 2018 03:29:39 pm

Submitted by:

Mohammed illiyas

चित्तौडग़ढ़ जिले के चंदेरिया निवासी वृद्धा डालीबाई 8 साल बाद अपनेे बेटे से म‍िली

ashadham
उदयपुर . पति की मौत व हत्या के मामले में बेटे को जेल होने के बाद सदमे में आई वृद्धा की आंखों की रोशनी चली गई। इधर-उधर घूमते हुए उसे किसी ने पागल समझकर आशाधाम आश्रम पहुंचा दिया। भगवान व अपनों को याद करते हुए उसने पागलों के बीच आठ साल भी गुजार दिए। अनजान बेटा व रिश्तेदार भी वृद्धा के लापता होने पर उसे मृत मान बैठे। आश्रम में रह रही चित्तौडग़ढ़ जिले के चंदेरिया निवासी वृद्धा डालीबाई (65) पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व महिला विधिक सहायता क्लिनीक की टीम की नजर पड़ी तो उन्होंने मकर संक्रान्ति के दिन मां की उसके बेेटे से बात करवाई।
पुष्टि होने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाह व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार नागौरी आश्रम की संस्थापिका सिस्टर डेनियल को वृद्धा को शेष जीवन उसके बेटे के पास गुजारने के लिए श्रीगंगानगर में ओपन जेल भिजवाने के निर्देश दिए। बेटा ओपन जेल में वहां पर गौ-शाला में सेवा कर रहा है। डीजे व सीजेएम स्वयं वृद्धा की रवानगी के दौरान स्वयं आश्रम पहुंचे। वृद्धा के आश्रम से रवानगी के दौरान कइयों की आंखों छलछला गई।
READ MORE : VIDEO: मकर संक्राति पर हुए दान पुण्य, शहर के धार्मिक स्थानों पर लगी रही लोगों की भीड़, देखें वीडियो

बेटे को पुकारा तो लोगों ने पागल समझा

चंदेरिया निवासी डालीबाई के पति का पूर्व में स्वर्गवास हो गया था। बेटा मोहन हत्या के मामले में वर्ष 2008 से जेल में बंद है । वर्ष 2011 में आंखों की रोशनी जाने के बाद वह बस में बैठकर उदयपुर आ गई। यहां पर एक दुर्घटना में उसकी पैर की हड्डी टूट गई। अनजान व्यक्ति ने उसे इलाज के लिए एमबी. चिकित्सालय में भर्ती करवा दिया। अंधता के कारण अस्पताल में वृद्धा में अपने बेटे मोहन का नाम लेकर चिल्ला रही थी। किसी ने उसे पागल समझकर मनोरोग वार्ड में भर्ती करवा दिया। वहां से वह आशाधाम आश्रम पहुंच गई। काउंसलिंग के दौरान वृद्धा द्वारा आधी अधूरी कहानी बताने पर सिस्टर डेनियल उसे केन्द्रीय कारागृह, उदयपुर में भी ले गई लेकिन अंधता के कारण बेटे को देख नहीं पाई। वर्ष 2016 में आश्रम की ओर से डाली बाई की आंखो का नि:शुल्क ऑपरेशन करवाया गया, जिससे उसकी एक आंख की रोशनी वापस आ गई।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो