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Mumps Virus New Update : मम्प्स वायरस के 22 रोगी चिह्नित, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, कोरोना पर भी आया नया अपडेट

Mumps Virus New Update : मम्प्स वायरस तेजी से फैल रहा है। चिकित्सा विभाग अलर्ट हो गया है। उदयपुर में अभी तक 22 रोगी चिह्नित किए गए हैं। अचानक कोरोनावायरस पर पर नया अपडेट आया है।

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Mumps Virus New Update

Mumps Virus New Update : उदयपुर में इन दिनों मम्प्स वायरस बढ़ता जा रहा है। जिले के अस्पतालों में प्रतिदिन रोगी सामने आ रहे हैं। जहां एमबी हॉस्पिटल और बाल चिकित्सालय में रोगी आ रहे हैं, वहीं चिकित्सा विभाग के अनुसार मंगलवार को 22 रोगी मिले हैं। ऐसे में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। जिले के मेडिकल कॉलेज और सभी चिकित्सा संस्थानों को निर्देश जारी किए गए हैं कि अस्पतालों में आने वाले मम्प्स के रोगियों की पहचान कर विभाग को रिपोर्ट करें। बदलते मौसम और ठंडे खाद्य पदार्थ खाने से बचाव करने से मम्प्स रोग से बचा जा सकता है। इसके साथ ही एक बड़ी खबर कोरोनावायरस से है। सीएमएचओ डॉ. शंकर एच. बामनिया ने बताया कि कोरोनावायरस के 58 सैम्पल लेकर जांच की गई, जिसमें 52 नेगेटिव और 6 पॉजिटिव पाए गए। इसमें 4 रोगी शहरी और 2 ग्रामीण क्षेत्र से है। पॉजिटिव रोगी केशवनगर, यूनिवर्सिटी रोड, भूपालपुरा, साइफर चौराहा, फतेहपुरा, वरड़ा बडग़ांव और भुवाणा है।



● मम्प्स के लक्षण संक्रमण के 12 से 24 दिन बाद दिखने लगते हैं। ज्यादातर बच्चों में ठंड लगना, सिरदर्द होना, भूख कम लगना, बीमारी का सामान्य अहसास और मध्यम तापमान का बुखार होता है।

● इन लक्षणों के बाद, 12 से 24 घंटों में लार ग्रंथियों में सूजन आ जाती है, जो दूसरे दिन सबसे ज्यादा बढ़ जाती है और 5 से 7 दिनों तक रहती है।

● कुछ बच्चों में अन्य किसी लक्षण के बिना सिर्फ लार पैदा करने वाली ग्रंथियों में सूजन होती है। चबाते या निगलते समय सूजन के कारण दर्द होता है।

● भोजन में खासकर खट्टे फलों के रस जैसे अम्लीय तरल पदार्थ निगलने पर। छूने पर ग्रंथियों के कोमल होने का अहसास होता है।

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- 22 मम्प्स रोगी की पहचान की गई
- 12 बच्चे 9 वर्ष आयु तक के ग्रसित
- 1 बालक 10 से 19 वर्ष के बीच
- 9 मम्प्स रोगी 20 वर्ष से अधिक उम्र के



प्रयोगशाला में किए गए परीक्षणों से मम्प्स वायरस और उसके एंटीबॉडीज की पहचान की जा सकती है। इस तरह के टेस्ट का इस्तेमाल डायग्नोसिस की पुष्टि करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन आमतौर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोजनों के लिए किया जाता है। मेनिनजाइटिस या एन्सेफ़ेलाइटिस के लक्षण वाले लोगों के लिए स्पाइनल टैप किया जाता है।



मम्प्स के लिए, अब कोई अलग टीका नहीं होता है। खसरा-मम्स-रूबेला टीका एक कॉमन टीका होता है, जिसमें कमज़ोर खसरा, मम्स, और रूबेला के वायरस होते हैं। यह बचपन के नियमित टीकाकरण में से एक है। एमएमआर वैक्सीन और चिकनपॉक्स की वैक्सीन एक संयुक्त वैक्सीन के रूप में भी उपलब्ध है। पहली खुराक 12 से 15 महीने की उम्र के बीच दी जाती है।



एमबी हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. आरएल सुमन ने बताया, मम्प्स रोगी प्रतिदिन आ रहे हैं, लेकिन घबराने की जरुरत नहीं है। 95 प्रतिशत रोगी एक बार उपचार लेकर ही ठीक हो रहे हैं। कुछ केस में परेशानी आती है, जिनमें भविष्य में परेशानी बढ़ने की आशंका रहती है। लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी चिकित्सालय में डॉक्टर से परामर्श लें। मास्क लगाए रखें, वायरस फैलाने से बचना चाहिए।



सीएमएचओ डॉ. शंकर एच. बामनिया मम्प्स एक वायरस है। निदान लक्षणों के आधार पर किया जाता है। इलाज का उद्देश्य लक्षणों से राहत देना होता है। ज्यादातर बच्चे बिना किसी समस्या के ठीक हो जाते हैं, लेकिन संक्रमण से मेनिनजाइटिस या एन्सेफेलाइटिस हो सकता है। मम्प्स का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। बेचैनी कम करने के लिए नरम आहार देना चाहिए।

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