
Udaipur rape report
Udaipur Crime: बचपन में जिन रिश्तेदारों की उंगलियां पकड़कर बच्चियां मुस्कान के साथ आगे बढ़ती हैं, वही हाथ अब दरिंदगी की हदें पार कर रहे हैं। शहर और आसपास के जिलों में पिछले दिनों दर्ज मामलों में कुछ ऐसे ही घिनौने सच सामने आए हैं, जिसमें मासूमियत को रौंदते हुए अपनों ने ही रिश्तों को तार-तार कर दिया।
अधिकांश मामलों में आरोपी परिवार का कोई परिचित या रिश्तेदार निकला। कुछ मामलों में बाप-बेटी का रिश्ता शर्मसार कर दिय गया। बात उदयपुर की करें तो यहां पिछले बीते दो साल में 88 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए। इनमें 9 मामलों में बच्चियों को अपनों ने ही दरिंदगी का शिकार बनाया। इसी तरह हाल ही में चित्तौड़गढ़ में पिता ने अपनी ही चार महीने की मासूम के साथ दुष्कर्म किया।
इस घटना ने समाज को झकझोंर दिया है। यह बच्ची फिलहाल उदयपुर अस्पताल में भर्ती है और हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। इधर, इस कृत्य के बाद बच्ची की मां सदमे से उबर नहीं पा रही है। चिकित्सकों से बातचीत में वह हिचकिचा रही है। इधर, चित्तौड़गढ़ के कोतवाली थाना पुलिस ने बच्ची की मां बयान लिए हैं, आरोपी अभी फरार हैं। इसके अलावा पिछले दिनों बांसवाड़ा जिले में दुष्कर्म की शिकार हुई एक अन्य बच्ची भी अब स्वस्थ है।
चित्तौडगढ़ : चार महीने की मासूम को पिता ने दुष्कर्म किया। बच्ची उदयपुर अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रही है।
जनजाति बहुल इलाका : रिश्ते में लगने वाले फूफा ने एक साल की बच्ची से दुष्कर्म किया, बाद में बच्ची हादसे में काल कवलित हो गई।
उदयपुर ग्रामीण : पिता ने बच्ची से कई बार दुष्कर्म कर वीडियो बना डाला, बहन ने देखा तो पूरा राज खुला। पत्नी ने पति के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दी।
शहरी थाना क्षेत्र : पिता ने बच्ची को गर्भवती कर दिया, बच्ची ने मजबूरी में बच्चे को जन्म दिया। पिता अभी न्यायिक हिरासत में है।
ग्रामीण इलाका : सौतेले भाई ने बच्ची को हवस का शिकार बनाया। मां ने पति के साथ ही थाने में रिपोर्ट दी। आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया।
उदयपुर शहर : इलाज के लिए मां के अस्पताल जाने पर रिश्तेदार के बेटे ने बच्ची से बलात्कार किया। शहर का यह चर्चित मामला रहा।
बच्चियों को गुड टच बैड टच सिखाना।
बच्चियों से खुलकर बातचीत करना।
असामान्य हरकत या डर को गंभीरता से लेना।
तुरंत कानूनी कार्रवाई करना।
बच्चों को अपनी बात कहने का माहौल नहीं मिलता, यही सबसे बड़ा कारण है कि अपराधी बेखौफ हो जाते हैं। जब बच्ची बार-बार डर या चुप्पी दिखाए तो माता-पिता को तुरंत सतर्क होना चाहिए। चुप्पी तोड़ना ही इस अपराध की सबसे बड़ी रोकथाम है।
-रागिनी शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता
हम रोज बच्चों को पढ़ाई-खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन सुरक्षा घर और रिश्तों से मिलनी चाहिए। परिवार को चाहिए कि वह बच्चियों से बातचीत करे। उन्हें गुड टच बैड टच के बारे में बताएं।
-यशोदा पाणियां, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति
Published on:
11 Sept 2025 11:51 am
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