
mahakal vip entry controversy garbha griha rules violation mp news (फोटो सोर्स- MP Tourism)
mahakal vip entry controversy: देशभर से श्रद्धालु बाबा महाकालेश्वर के दर्शन करने शहर आते हैं, लेकिन नंदीहॉल या गर्भगृह तक पहुंच उन्हीं को मिलती है, जिनके पास खुद का दबदबा और 'रसूख हो। जहां आम भक्त घंटों लाइन में लगकर 40 फीट दूर से दर्शन पाते हैं, वहीं नेता, अधिकारी और रसूखदार सीधे गर्भगृह में प्रवेश कर लेते हैं, वह भी बिना किसी तय प्रोटोकॉल या मापदंड के।
इससे आम श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत होती हैं। सच्चाई यह है कि मंदिर में वीआइपी दर्शन के लिए कोई सार्वजनिक और स्पष्ट नीति है ही नहीं। किसे गर्भगृह में प्रवेश मिलेगा, यह निर्णय अक्सर मौखिक, अस्थायी और कौन कितना बड़ा है पर निर्भर करता है। (mp news)
शहरवासियों का कहना है मंदिर सिर्फ धार्मिक नहीं, आस्था का प्रतीक है। अगर किसी सरकारी अस्पताल या स्कूल में नियम होते हैं, तो भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख मंदिर में भी नियम तय क्यों नहीं? महाकाल मंदिर के गर्भगृह (garbha griha mahakal) में वीआइपी दर्शन को लेकर हाल ही में उठे विवाद पर फिलहाल अधिकारी मौन हैं। उन्होंने कहा कि अभी जांच चल रही है, इसकी रिपोर्ट आने पर ही उचित कार्रवाई की जाएगी।
बता दें, कि महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर पहले भी कई बार नियमों के उल्लंघन और वीआईपी के विशेषाधिकारों को लेकर चर्चाएं हो चुकी हैं, लेकिन उन पर अभी तक कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई। इस बार इंदौर के विधायक गोलू शुक्ला और उनके पुत्र रुद्राक्ष ने नियमों को धता बताते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया है, इसका सोशल मीडिया और कांग्रेस द्वारा विरोध किया जा रहा है, ताबड़तोड़ प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है, जो 7 दिनों में रिपोर्ट देगी।
गर्भगृह महाकाल मंदिर का सबसे पवित्र स्थान है। दर्शन के दौरान वीआईपी को विशेष छूट और आम लोगों को प्रतिबंधित करने से आक्रोश और असमानता की भावना फैलती है। आम श्रद्धालु घंटों लाइन में लगकर भी गर्भगृह नहीं जा पाता, जबकि वीआईपी सीधे अंदर पहुंच जाते हैं। इससे मंदिर की गरिमा और धार्मिक अनुशासन पर सवाल उठते हैं।
बता दें, पूर्व कलेक्टर ने उद्योगपति के गर्भगृह में वीआईपी दर्शन के बाद नियमबद्ध नीति बनाने का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा था कि मंदिर समिति, पुजारियों और प्रशासन के बीच स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे ताकि वीआइपी दर्शन का दायरा तय हो सके। सुरक्षा, समय और संया की सीमा सुनिश्चित की जा सके। इस नियमबद्ध नीति का अब भी निर्धारण नहीं हो सका है।
हाकाल मंदिर के गर्भगृह में पहले केवल सावन-भादौ मास में ही प्रवेश बंद रखे जाने का प्रावधान रहता था, लेकिन महाकाल लोक बनने के बाद से भीड़ के दबाव को देखते हुए इस पर रोक लगाई गई थी। अब तो यह स्थिति हो गई कि पुजारी-पुरोहित अपने यजमान और दानदाताओं को भी प्रवेश नहीं करा पाते हैं। इसके लिए मंदिर समिति को पुनर्विचार करना चाहिए।- राम शर्मा, पूर्व समिति सदस्य
Published on:
25 Jul 2025 11:57 am
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