अनोखी प्रतिमा जो उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं नहीं
मान्यता है कि नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित प्रतिमा अपने आप में एक अनोखी प्रतिमा है। उज्जैन के अलावा दुनियाभर में ऐसी कोई दूसरी प्रतिमा नहीं है। दरअसल अब तक हमने सर्प शैय्या पर भगवान विष्णु को ही आराम करते देखा है। लेकिन नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित इस प्रतिमा में भगवान विष्णु नहीं बल्कि भगवान शिव सर्प शैय्या पर लेटे हैं।नागचंद्रेशमवर मंदिर की पौराणिक मान्यता
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार माना जाता है कि सर्प राज तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया।
सर्प दोष से मिलती है मुक्ति
माना जाता है नागचंद्रेश्वर के इस मंदिर में दर्शन करने के बाद सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। यही कारण है कि नागपंचमी के अवसर पर यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है।
राजा भोज ने करवाया था मंदिर का निर्माण, सिंधिया घराने से भी नाता
बताया जाता है कि परमार राजा राजा भोज (King Raja Bhoj) ने 1050 ईस्वी में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया (Maharaja Ranoji Scindia) ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उसी समय नागचंद्रेश्वर मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ था। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह के ठीक ऊपर ओंकारेश्वर का मंदिर स्थापित है। मंदिर के शिखर पर यानी शीर्ष पर नागचंद्रेश्वर का ये मंदिर है।