आपको बता दें कि, नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट रात 12 बजे खोले गए। इसके बाद विधि विधान से पूजन किया गया। हालांकि, भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने आए श्रद्धालुओं की कतार सोमवार शाम 7 बजे से ही लग गई थी। अब मंदिर के पट श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु 24 घंटे तक खुले रहेंगे। इस दौरान लाखों श्रद्धालु नागटंद्रेश्वर के दर्शन करेंगे।
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विधि विधान से पूजन के बाद श्रद्धालुओं के लिए खोले गए पट
भारतीय पंचांग तिथि अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन ही मंदिर के पट खुलने की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है। परंपरा के अनुसार, रात 12 बजे महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा महाकाल का अभिषेक कर विधि विदान के साथ पूजन किया। इसके बाद ही भगवान नागचंद्रेश्वर के दुर्लभ दर्शन पूरे 24 घंटे श्रद्धालुओं के लिए आम कर दिए जाते हैं। फिलहाल दर्शन का सिलसिला जारी है। अबतक हजारों दर्शनार्थी अबतक नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर चुके है।
100 करोड़ की लागत से बना अस्थाई ब्रिज, श्रद्धालु सीधे कर रहे दर्शन
खास बात ये है कि, इस बार मंदिर प्रबंधन और प्रशासन द्वारा नागचंद्रेश्वर मंदिर तक नया 100 करोड़ की लागत से अस्थाई ब्रिज बनाया गया है, जिससे दर्शन के बाद श्रद्धालुओं को बाहर जाने में भी आसानी रहेगी। यही कारण है कि, चारधाम मंदिर से लाइन में लगने के बाद करीब एक घंटे में ही आम लोगों को दर्शन हो रहे है। भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन का सिलसिला मंगलवार को रात 12 बजे तक इसी तरह जारी रहेगा।
11वीं शताब्दी की है नागचंद्रेश्वर प्रतिमा
महाकाल मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा में फन फैलाए हुए नाग के आसन पर शिव जी के साथ देवी पार्वती बैठी है। संभवत: दुनिया में ये एक मात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसमें शिव जी नाग शैय्या पर विराजित है । इस मंदिर में शिवजी, माँ पार्वती, श्रीगणेश जी के साथ ही फन फैलाए सप्तमुखी नाग देव है । साथ में दोनों के वाहन नंदी और सिंह भी विराजित है । इस प्रतिमा में शिव जी के गले और भुजाओं में भी नाग लिपटे हुए है ।
मंदिर के तीन खंडों में बोलेनाथ के अलग अलग रूप
महाकाल मंदिर का शिखर तीन खंडों में बंटा हुआ है। इसमें सबसे नीचे गृभगृह में भगवान महाकाल विराजित हैं। दूसरे खंड में ओंकारेश्वर और तीसरे पर नागचंद्रेश्वर मंदिर है। ये मंदिर अतिप्राचीन है। माना जाता है कि, परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर को बनवाया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार किया था। ऐसा कहा जाता है कि, इस दुर्लभ प्रतिमा को नेपाल से लाकर मंदिर में स्थापित किया गया था।
दोपहर 12 बजे होगी शासकीय पूजा
नागपंचमी के दिन यानी मंगलवार की दोपहर 12 बजे शासकीय पूजा होगी। इसमें जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन के अधिकारी, जिनमें कलेक्टर आशीष सिंह और एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल समेत अन्य अधिकारी शामिल होंगे। वहीं बाबा महाकाल की सायं आरती के बाद मंदिर प्रबंध समिति नागचंद्रेश्वर का पूजन करेगी।
यहां करें भगवान महाकाल की सवारी के दर्शन, VIDEO