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अखिलेश यादव के बड़े दांव ने उड़ी निरहुआ की नीद, सपा के चक्रव्यूह में फंसी बीजेपी

मुलायम सिंह यादव की राह पर चले थे अखिलेश, पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर भी हो गयी थी बेअसर

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Akhilesh Yadav

Akhilesh Yadav

वाराणसी. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा दांव खेल दिया है जिससे भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ की नीद उडऩी तय है। सपा के चक्रव्यूह में बीजेपी फस चुकी है। अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव की राह पर चलते हुए ही बड़ा कदम उठाया था और यहां पर पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर भी काम नहीं आयी थी।
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IMAGE CREDIT: Patrika

पूर्वांचल में आजमगढ़ संसदीय सीट ऐसी है, जो बीजेपी व सपा के लिए चुनौती बनती है। बीजेपी किसी भी हाल में इस सीट को कब्जा करना चाहती है जबकि सपा इस सीट को अपने पाले में करने के लिए पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता तक को चुनाव लड़ा देती है। आजमगढ़ में बीजेपी की राह कभी आसान नहीं थी। बीजेपी ने जब बाहुबली रमाकांत यादव को प्रत्याशी बनाया था तो इस सीट पर भगवा पार्टी को जीत मिली थी इसके बाद वर्ष 2014 में मुलायम सिंह यादव ने इस सीट पर बीजेपी को पटखनी दी थी। पिता की राह पर चलते हुए अखिलेश यादव ने जब इस सीट से चुनाव लडऩे का ऐलान किया था तो बीजेपी ने बाहुबली रमाकांत यादव का टिकट काट कर निरहुआ को प्रत्याशी बनाया था। बीजेपी व निरहुआ ने इस सीट पर सारी ताकत लगा दी थी लेकिन अखिलेश यादव को चुनाव नहीं हरा पाये थे। चुनाव हारने के बाद भी निरहुआ आजमगढ़ में सक्रिय थे, जिससे 2024 में होने वाले संसदीय चुनाव में सपा को कड़ी टक्कर दी जा सके। बीजेपी नेता स्मृति ईरानी चुनाव हारने के बाद भी अमेठी में सक्रिय बनी थी जिसके चलते उन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को चुनाव हराया था। निरहुआ भी इसी तरह आजमगढ़ में सक्रिय रहना चाहते थे लेकिन अखिलेश यादव ने ऐसा चक्रव्यूह बनाया कि बीजेपी उसमे फस गयी।
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रमाकांत यादव के शामिल होने से बढ़ी सपा की ताकत, बीजेपी के लिए आसान नहीं होगी चुनावी राह
आजमगढ़ के बाहुबली नेता को सपा में शामिल कर अखिलेश यादव ने बड़ा दांव खेला है। संसदीय चुनाव 2024 में इस सीट से कौन प्रत्याशी चुनाव लड़ता है इसका निर्णय तो उस समय ही होगा। इतना अवश्य है कि यदि अखिलेश यादव किन्ही कारणों से इस सीट से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उनके पास रमाकांत यादव जैसा नेता रहेगा। जो सपा को यह सीट जीता सकता है। यदि अखिलेश यादव फिर इसी सीट से चुनाव लड़ते हैं तो भी रमाकांत यादव का साथ सपा को बहुत काम आयेगा। सपा में रमाकांत यादव के शामिल हो जाने के बाद से बीजेपी बहुत कमजोर हो गयी है। रमाकंात यादव के पास भी बहुत विकल्प नहीं था बीजेपी से टिकट कटने के बाद प्रियंका गांधी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल कर भदोही से प्रत्याशी बनाया था जहां से रमाकांत यादव को करारी हार मिली थी। रमाकांत यादव के शामिल होने से सपा की ताकत बढ़ेगी और पार्टी को यूपी चुनाव 2022 में भी इसका लाभ मिल सकता है। बीजेपी के लिए राहत की बात यही होगी कि अखिलेश यादव व मायावती की पार्टी की राह अब अलग-अलग हो गयी है, जिससे वोटो का ध्रुवीकरण होने से बीजेपी को लाभ मिल सकता है। फिलहाल अखिलेश यादव ने रमाकांत यादव को शामिल कर आजमगढ़ में सपा के कुनबे को मजबूत कर दिया है।
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