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यह है खूनी फ्लाईओवर, ले चुका है 15 लोगों की जान, ढाई गुना बढ़ चुकी है लागत

15 लोगों की जान लेने के बाद भी हुआ हादसा, 1800 मीटर लंबे फ्लाईओवर ने फिर खोली व्यवस्था की कलई

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Chaukaghat Lahartara Flyover

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वाराणसी. चौकाघाट-लहरतारा का निर्माणाधीन फ्लाईओवर खूनी हो चुका है। बीम गिरने से पहले ही 15 लोगों की मौत हो चुकी है और 11 अक्टूबर को शटरिंग गिरने से एक वायु सैनिक घायल होने जाने के बाद व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी सरकारी मशीनरी नहीं सुधरी और लापरवाही से निर्माण के दौरान हादसा हो गया।
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IMAGE CREDIT: Patrika

बसपा सुप्रीमो मायावती के कार्यकाल में चौकाघाट से रोडवेज तक फ्लाईओवर निर्माण की नीव रखी गयी थी। उस समय कहा गया था कि कैंट रेलवे स्टेशन एरिया को जाम से बचाने के लिए यह फ्लाईओवर बनाया जा रहा है। निर्माण के समय से ही फ्लाईओवर की दूरी विवादों में थी। फ्लाईओवर का निर्माण पूरा होते-हाते यूपी में अखिलेश यादव की सरकार आ गयी थी। सपा सरकार में इस फ्लाईओवर की लंबाई बढ़ाने का प्रस्ताव पास हुआ और फिर से काम होने लगा। अखिलेश यादव सरकार में निर्माण की गति बहुत धीमी थी इसलिए फ्लाईओवर का विस्तारीकरण नहीं हो पाया। इसके बाद यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार आयी। बीजेपी सरकार ने सेतु निगम पर जल्द से जल्द निर्माणाधीन फ्लाईओवर का पूरा करने का दबाव बनाया। इस प्रोजेक्ट को सबसे बड़ा झटका15 मई 2018 को लगा। जब चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर की दो बीम गिरने से 15 लोगों की मौत हो गयी थी। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या तक घटनास्थल पर पहुंचे थे और क्राइम ब्रांच की जांच के बाद सेतु निगम के बड़े अधिकारियों को जेल की हवा खानी पड़ी। इसके बाद भी व्यवस्था नहीं बदली और खूनी फ्लाईओवर से हादसा हो गया।
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77.41 करोड़ का फ्लाईओवर का बजट 171 करोड़ पहुंचा
चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर का बीम गिरने के बाद इसके डिजाइन में कुछ परिवर्तन किया गया। स्टील की बीम लगाने के चलते इसकी लागत 77.41 करोड़ से बढ़ कर 171 करोड़ तक पहुंच गयी। इसके बाद भी काम की रफ्तार नहीं बढ़ी और हादसे भी होते रहे।
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वर्ष 2015 में विस्तारीकरण का प्रोजेक्ट शुरू हुआ था आज तक नहीं पूरा हो पाया काम
वर्ष 20158में चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर के विस्तारीकरण पर काम शुरू हुआ था उस समय कहा गया था कि 1800०मीटर लंबा प्लाईओवर को 30 माह में बन जाता था लेकिन हादसे व काम की धीमी रफ्तार ने इस योजना को सबसे अधिक प्रभावित किया। जिस फ्लाईओवर को मई 2018 में पूरा होना था उस समय तक 40 प्रतिशत तक ही काम हुआ था। इसके बाद जून 2019 तक प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य रखा था जो नहीं हो पाया। अब दिसम्बर 2019 की तिथि तय की गयी है लेकिन अभी तक काफी काम बाकी है जिससे इस साल तक निर्माण खत्म होने की संभावना बहुत कम है।
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फ्लाईओवर का एक हिस्सा अप्रैल तक तैयार करने की चुनौती
चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर वाई स्पैन में बन रहा है। इसका एक हिस्सा कैंट के पास से महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पास उतरेगा। चौकाघाट से लहरतारा फ्लाईओवर किसी तरह दिसम्बर तक बन भी जाता है तो भी उसका छोटा हिस्सा अभी तैयार नहीं हो पायेगा। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पास इसके लिए काम शुरू हुआ है, जिसे अप्रैल तक पुरा करने का लक्ष्य रखा गया है। फिलहाल हादसे के बाद जांच कमेटी का गठन कर रिपोर्ट मांगी गयी है। उसके बाद पता चलेगा कि शटरिंग गिरने के लिए कौन जिम्मेदार है।
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