सावन में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए ही मंदिर प्रशासन ने गर्भगृह के बाहर से ही दर्शन व जलाभिषेक करने की नयी परम्परा शुरू की थी। चारों तरफ से बाबा के दर्शन व जलाभिषेक करने के लिए अरघे जैसा धातु का एक पात्र लगाया गया था जिसे चारों तरफ से आने वाले भक्त आराम से बाबा का जलाभिषेक करके चले जाते थे। मंदिर प्रशासन को नयी व्यवस्था बहुत पसंद आयी थी जिसका प्रमुख कारण कम समय में अधिक लोगों को बाबा का दर्शन मिलना था। सावन खत्म होने के बाद मंदिर में पहले जैसी भीड़ नहीं रह गयी है इसके बाद भी मंदिर प्रशासन ने गर्भगृह प्रवेश पर रोक की व्यवस्था को स्थायी कर दिया।
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गर्भगृह में दर्शन कराने के चलते लग जाती थी लंबी लाइन
देश भर से भक्त काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने आते हैं। बाबा का गर्भगृह बहुत छोटा है इसलिए वहां पर जलाभिषेेक करने के चलते लोगों की भीड़ लग जाती थी। इसके चलते अधिक समय में कम लोग दर्शन कर पाते थे। मंदिर प्रशासन का मानना है कि नयी व्यवस्था से कम समय में अधिक लोगों को दर्शन मिल सकेगा। काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह ने कहा कि कम समय में अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के लिए ही नयी व्यवस्था लागू की गयी है। इससे गर्भगृह की शुचिता भी बरकरार रहेगी।
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देश भर से भक्त काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने आते हैं। बाबा का गर्भगृह बहुत छोटा है इसलिए वहां पर जलाभिषेेक करने के चलते लोगों की भीड़ लग जाती थी। इसके चलते अधिक समय में कम लोग दर्शन कर पाते थे। मंदिर प्रशासन का मानना है कि नयी व्यवस्था से कम समय में अधिक लोगों को दर्शन मिल सकेगा। काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह ने कहा कि कम समय में अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के लिए ही नयी व्यवस्था लागू की गयी है। इससे गर्भगृह की शुचिता भी बरकरार रहेगी।
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