8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कभी जिनके हाथों से उजड़ा था सुहाग, अब सुहागन के लिए बनायेंगे साड़ी

जेल के सलाखों में रहते हुए परिवार का उठा सकेंगे खर्च, कैदियों को एक साथ मिली तीन सौगात

3 min read
Google source verification
Banarsi sari

Banarsi sari

वाराणसी. कभी जिनके हाथों से किसी का सुहाग उजड़ा था वही हाथ अब किसी सुहागन के लिए बनारसी साड़ी बनायेंगे। जो कैदी परिवार वालों का आर्थिक सहयोग करने में अक्षम होते थे वही अब जेल की काल कोठरी से परिवार का खर्च उठाने में सक्षम होंगे। शनिवार को सेंट्रल जेल के कैदियों को एक साथ तीन सौगात मिली है। एडीजी जेल चन्द्र प्रकाश ने नयी सुविधा का उद्घाटन किया।
यह भी पढ़े:-जेल में खेल पर लगेगी लगाम, सेंट्रल कमांड करेगा तीसरी आंख से निगहबानी

IMAGE CREDIT: Patrika

एडीजी जेल चन्द्र प्रकाश ने सेट्रल जेल में कैदियों के बनाये गये उत्पात को बेचने वाले आउटलेट, व्यवसायिक उपयोग वाली लॉन्ड्री व बनारस साड़ी बनाने वाले हथकरघा मशीन का उद्घाटन किया है। एडीजी जेल ने कहा कि कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह सारी सुविधा शुरू की गयी है। शुरूआत में कैदी चार से पांच हजा रुपये कमा लेंगे। इसके बाद और अच्छा काम करते हैं तो उन्हें और अधिक पैसे मिलेंगे। एडीजी जेल ने कहा कि काम सिखाने के लिए कैदियों को ट्रेनिंग भी दी जायेगी। जैन समाज के सहयोग से हथकरघा व एक अन्य संस्था की मदद से लॉन्ड्री लगायी गयी है। आउटलेट बनाने में ढाई लाख, लॉन्ड्री की मशीन में साढ़ आठ लाख की लागत आयी है। उन्होंने कहा कि कैदियों की रिहाई के लिए स्थायी नीति बनायी है और देश में पहली बार 26 जनवरी को 1500 से अधिक कैदियों को रिहा किया गया है।
यह भी पढ़े:-रणबीर कपूर व आलिया भट्ट ने बाबा विश्वविनाथ का दिया दर्शन, यह मांगा आशीर्वाद

jail Chandra Prakash" src="https://new-img.patrika.com/upload/2019/06/08/pix2f_4682764-m.jpg">
IMAGE CREDIT: Patrika

आउटलेट में बिकेंगे कैदियों के बनाये शुद्ध उत्पात
जेल परिसर के आउटलेट से कोई भी कैदियों के बने उत्पाद को खरीद सकता है। इस आउटलेट में सारे उत्पाद शुद्ध मिलेंगे। कैदियों द्वारा बनाये गये दरी, चादर, सोफा, बेंच के साथ आचार, मुरब्बा, बेकरी, बिस्कुट, ब्रेड के आइटम समेत दो दर्जन उत्पाद बेचे जा रहे हैं। इसके लिए कैदियों को बकायदा ट्रेनिंग दी गयी है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित न हो।
यह भी पढ़े:-महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में इस सत्र से मिलेगी पांच वर्षीय विधि की पढ़ाई की सौगात

लॉन्ड्री में एक साथ धुलेंगे 50 किलो कपड़े
सेंट्रल जेल में बनायी गयी लॉन्ड्री में एक साथ 50 किलो कपड़े धुलने के लिए सिडबी की सहयोग से मशीन लगायी गयी है। अभी इस लॉन्ड्री का उपयोग कैदियों के कपड़े धोने के लिए किया जायेगा। होटल व अस्पतालों से संस्था वार्ता कर रही है और एक बार वार्ता सफल हो जाने के बाद वहां से निकले कपड़े सेंट्रल जेल की लॉन्ड्री में धुलेंगे। इससे कैदियों को अतिरिक्त आय होगी।
यह भी पढ़े:-प्रशिक्षु महिला पुलिसकर्मी का सड़क जाम करना पड़ सकता है भारी

सुहागन पहनेंगे कैदियों की बनायी बनारसी साड़ी
सेंट्रल जेल परिसर में हथकरघा मशीन भी लगायी गयी है जहां पर कैदियों को बनारसी साड़ी बनाने का मौका मिलेगा। जिन हाथों से कभी किसी का सुहाग उजड़ा होगा। वही हाथ अब किसी सुहागन के लिए बनारसी साड़ी बनायेंगे। इसके लिए कैदियों को हथकरघा चलाने की ट्रेनिंग भी मिलेगी। सेंट्रल जेल प्रशासन की यह पहल बेहद सकारात्मक है। एडीजी जेल चन्द्र प्रकाश ने कहा कि एक बार कैदी अपने हुनर से पैसा कमाने लगेंगे तो उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोडऩा आसान हो जायेगा।
यह भी पढ़े:-NGT की सख्ती के बाद खुली नीद, अब शहर में नहीं दिखेगा कूड़ा