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Education: दाखिलों में हर साल लेटलतीफी, लॉ एज्यूकेशन फिर भी बदहाल

प्रीम और हाईकोर्ट की कार्रवाई देखने का अवसर नहीं मिल रहा। सरकार तो विधि शिक्षा का तमाशा देखने में जुटी है।

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

प्रदेश में विधि शिक्षा (law education) बदहाल हो रही है। बार कौंसिल ऑफ इंडिया हर साल प्रथम वर्ष के दाखिलों में लेटलतीफी करती है। फिर भी लॉ कॉलेज गुणवत्तापूर्ण शिक्षण (quality education) से दूर हैं। भावी वकीलों को ऑनलाइन शिक्षण, हाइटेक लाइब्रेरी, सुप्रीम (supreme court) और हाईकोर्ट (high court)की कार्रवाई देखने का अवसर नहीं मिल रहा। सरकार तो विधि शिक्षा का तमाशा देखने में जुटी है।

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प्रदेश में 2005 में अजमेर सहित बीकानेर, कोटा, बूंदी, चूरू, झालावाड़, भीलवाड़ा, नागौर, सिरोही सहित अन्य 15 लॉ कॉलेज (law colleges) खोले गए। नियमानुसार बार कौंसिल ऑफ इंडिया से सभी कॉलेज को प्रति पांच साल की सम्बद्धता (affilliation) होनी चाहिए। दुर्भाग्य से ऐसा नही है।

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हर साल दिखावटी सख्ती…
बार कौंसिल ऑफ इंडिया प्रदेश के लॉ कॉलेज में पर्याप्त स्टाफ (staff), संसाधन (facilites) नहीं होने से वाकिफ है। कौंसिल प्रतिवर्ष प्रथम वर्ष के प्रवेश रोकता है। सरकार की अंडरटेकिंग (under taking), विश्वविद्यालयों (state univsersity) के सम्बद्धता पत्र मिलने के बाद वह प्रतिवर्ष अक्टूबर-नवंबर तक दाखिलों की अनुमति देता है। लेकिन सख्ती दिखावटी होती है। कॉलेज और सरकार कमियों को दूर नहीं करती है।

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बढ़ रही वकीलों की फौज
प्रथम वर्ष में लेटलतीफी और संसाधनों की कमी से गुणवत्ता विधि शिक्षा (law education)पर असर दिख रहा है। प्रदेश के 15 लॉ कॉलेज हर साल वकीलों की फौज तैयार रहे हैं। अदालतों में फैसले अंग्रेजी (english) में लिखे जाते हैं। युवाओं को कॉलेज में अंग्रेजी नहीं सिखाई जाती है। एलएलबी और एलएलएम कोर्स में अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थी सिर्फ 1-2 प्रतिशत हैं।

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यह कमियां क्वालिटी एज्यूकेशन में बाधक…
-चिकित्सा, आयुर्वेद, उच्च शिक्षा की तरह लॉ शिक्षा का पृथक कैडर नहीं
-लॉ कॉलेज में स्थाई प्राचार्य पद सृजित नहीं
-यूजीसी के 12 एफ, 2 (बी) में कॉलेज पंजीकृत नहीं
-राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान में नहीं मिलता बजट
-ऑनलाइन क्लास, ई-लेक्चर का अभाव
-विद्यार्थी को नहीं भेजते सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की कार्रवाई देखने
-कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान, सभागार नहीं

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फैक्ट फाइल
15 लॉ कॉलेज हैं प्रदेश में
125 व्याख्याता कार्यरत
5 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं लॉ कॉलेज में
14 साल से बीसीआई की मान्यता का इंतजार


बीसीआई अगर कोई आपत्ति लगा रही है, नियमों की कड़ाई से पालना करानी चाहिए। लॉ एज्यूकेशन में क्वालिटी बहुत जरूरी है। 14 साल से कॉलेज को यूजीसी में पंजीकृत हों तो बजट भी मिलेगा। वक्त के अनुसार ई-लेक्चर, ऑनलाइन स्टडी बहुत जरूरी है। सरकार को भी पर्याप्त स्टाफ, भवन देने चाहिए, ताकि युवाओं को लीगल एज्यूकेशन का सही फायदा पहुंच सके।
डॉ. सीताराम शर्मा, पूर्व प्राचार्य लॉ कॉले

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