भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के रूपबास पहुंचने के साथ ही यहां पर मेला प्रारंभ हो गया था। भगवन की रथयात्रा के वापस लौटने के साथ ही मेले का समापन भी हो गया। अंतिम दिन माता जानकी को ब्याहकर भगवान जगन्नाथजी पुराना कटला स्थित अपने निज धाम पहुंचे।
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भगवान की रथयात्रा में बैंडबाजे, घोड़े के अलावा, भजन मंडलियां, देवी देवताओं की झांकी सहित अनेक आकर्षण शामिल रही। मुंह से आग निकालते कलाकार, अखाड़ा और पट्टेबाजी का प्रदर्शन करते कलाकार सभी को आकर्षित किया। भगवान जगन्नाथ के जयकारों से माहौल भक्तिमय बना हुआ था।
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रूपबास के रूपहरि मंदिर से बैंडबाजे व शाही लवाजमे के साथ भगवान की रथयात्रा प्रारंभ हुई। रथ में सवार होने से पूर्व पुलिस बैंड ने माता जानकी व भगवान जगन्नाथ को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शनों के लिए मौजूद रहे।
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