दरअसल, बाकरगंज निवासी 70 वर्षीय वृद्ध दुर्गा प्रसाद का विवाह नहीं हुआ था। गांववासी हमेशा दुर्गाप्रसाद से यह कहते थे कि कुंवारा मरने पर किसी को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। लोगों के इस तरह की बात से दुर्गाप्रसाद हमेशा परेशान रहा करता था। इसी गांव के रहने वाले शंकर सिंह ने दुर्गा प्रसाद की इस चिंता का हल ढूंढ लिया। उन्होंने दुर्गा प्रसाद से बातचीत करके उनकी प्रतीकात्मक शादी की तैयारी में जुट गया।
इसके लिए सबसे पहले कपास की एक लकड़ी को साड़ी पहनाया गया और एक दुल्हन की तरह से सजाया गया। इसके बाद हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार सिल मायन के साथ विवाह की सारी रस्में पूरी की गई। दुर्गा प्रसाद ने लकड़ी की बनी इस दुल्हन के साथ सात फेरे भी लिए। शादी में सभी के लिए भोज का भी आयोजन किया गया था।
इन सबके अलावा शादी में डीजे का भी प्रबंध किया गया जिसमें बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी थिरकें। रात में लोगों के मनोरंजन के लिए नौटंकी का आयोजन भी किया गया।
मोक्ष के लिए अब तक लोगों को कई पवित्र नदियों में स्नान करते आप सभी ने देखा होगा लेकिन लकड़ी के साथ शादी का यह नमूना शायद ही पहली बार लोगों ने देखा।