
IVF technique will get child
IVF technique will get child : प्रौद्योगिकी की उन्नति ने मानव जीवन को नए दिशानिर्देश दिए हैं, और आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक ऐसी तकनीक है जिसने बिना जोड़े-जिते बच्चों के प्रति आपकी आशाओं को नया दृष्टिकोण दिया है। इस लेख में, हम आईवीएफ तकनीक को कैसे एक बच्चे की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के रूप में देख सकते हैं, इस पर चर्चा करेंगे।
70-80% निसंतान दंपति का इलाज दवाओं के जरिए ही संभव है। 50-60वर्ष की महिलाएं भी आईवीएफ तकनीक से पा सकती हैं संतान सुख, 3 से 4 बार ही 1-1 घंटे के लिए महिला को आईवीएफ के दौरान अस्पताल आना पड़ता है।
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नि:संतानता इन दिनों महिला-पुरुषों में बड़ी समस्या बनती जा रही है। लेकिन नवीनतम चिकित्सा तकनीकों ने इलाज के कई विकल्प उपलब्ध कराए हैं जो उम्मीद की किरण जगाते हैं। आईवीएफ भी ऐसी ही तकनीक है।
आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization) कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक है। इसकी मदद से नि:संतान दंपती भी संतान सुख पा सकते हैं। इसमें महिला के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैबोरेट्री में एकसाथ रखकर फर्टिलाइज करने के बाद महिला के गर्भ में ट्रांसफर कर देते हैं। इस प्रक्रिया को एम्ब्रियो कल्चर व टैस्ट ट्यूब बेबी भी कहते हैं। 70-80 फीसदी नि:संतान दंपती का इलाज दवाओं और 20-30 फीसदी मरीजों को आईवीएफ की जरूरत पड़ती है।
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IVF technology आईवीएफ तकनीक
आईवीएफ एक प्रक्रिया है जिसमें शुरुआतिक चरण में महिला के गर्भाशय के बाहर उसकी अंडानुदान को पुरुष के शुक्राणु से मिलाया जाता है। इसके बाद उस तंतुस्त्रावित अंडानुदान को लैबोरेटरी में बुद्धिमत्ता से परिपक्व किया जाता है। जब यह अंडानुदान परिपक्व होता है, तो विशेषज्ञ चिकित्सक उसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित करते हैं, जहाँ वह गर्भाशय के प्राकृतिक प्रक्रिया के अनुसार विकसित होता है। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप, गर्भावस्था के दौरान एक स्वाभाविक बच्चा पैदा होता है जिसमें किसी बायोलॉजिकल मातृपितृत्व की कमी नहीं होती है।
IVF and child creativity: आईवीएफ और बच्चे की रचनात्मकता:
आईवीएफ तकनीक के द्वारा जन्म देने वाले बच्चे का जन्म बिल्कुल सामान्य बच्चे की तरह होता है, लेकिन यह प्रक्रिया ऐसे जोड़ों के लिए एक अवसर प्रदान करती है जो बिना आईवीएफ के संभाव नहीं होता।
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कई हैं वजह -
महिलाओं की अधिक उम्र में शादी, प्रोफेशनल लाइफ के चलते देरी से फैमिली प्लानिंग, खानपान पर ध्यान न देना, हाइजीन का अभाव, नौकरी का तनाव, जागरुकता की कमी, पैल्विक इंफ्लेमेट्री डिजीज यानी बच्चेदानी के आसपास सूजन भी कारण हैं। पुरुषों में स्पर्म डिफेक्ट, काउंट कम होना आदि कारणों से भी परेशानी हो सकती है।
ये जांचें जरूरी -
आईवीएफ के तहत महिला-पुरुष दोनों की प्रमुख जांच की जाती है। महिला में एफएसएच, एलएच, टीएसएच आदि प्रजनन हार्मोन संबंधी जांचें के साथ बच्चेदानी व जननांग की स्थिति जानने के लिए सोनोग्राफी करते हैं। जेनेटिक टैस्टिंग व एग काउंट (एएमएच)टैस्ट के अलावा पुरुष में सीमेन एनालिसिस कर स्पर्म काउंट करते हैं। बीपी, किडनी व लिवर की जांच करते हैं।
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They need IVF इन्हें आईवीएफ की पड़ती जरूरत -
यदि नियमित संबंध बनाने के बाद भी गर्भधारण नहीं हो रहा है तो इसे नि:संतानता की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन जरूरी नहीं है कि सबको आईवीएफ कराना पड़े। इसके लिए पहले बेसिक टैस्ट किए जाते हैं। जिन महिलाओं की एक फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक है और दूसरी खुली है, माहवारी अनियमित है, अंडे नहीं बनते हैं या फिर मासिकचक्र बंद हो गया है उन्हें आईवीएफ की जरूरत पड़ती है। मेनोपॉज के बाद और महिलाओं की नसबंदी हो चुकी है या फिर पुरुष का स्पर्म काउंट बहुत कम या कमजोर है, वे भी आईवीएफ के लिए प्लान कर सकते हैं।
Taking treatment at the right time is beneficial सही समय पर इलाज लेना लाभदायक -
आईवीएफ से 50 साल से अधिक उम्र तक की महिलाएं और 60 साल से अधिक उम्र के पुरुषों को संतान सुख मिलता है लेकिन सही उम्र में आईवीएफ कराने से जल्द गर्भधारण की संभावना रहती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है प्रजनन शक्ति कमजोर पड़ने लगती है। पुरुषों में भी स्पर्म काउंट कम होने लगते हैं। इससे गर्भधारण होने में समस्या के साथ कई परेशानियां होती हैं। अधिक उम्र होने पर मल्टीपल बर्थ, गर्भपात और समयपूर्व प्रसव की आशंका भी रहती है।
Possibility of multiple pregnancy मल्टी प्रेग्नेंसी की संभावना -
एक बार आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरने के बाद मल्टी प्रेग्नेंसी भी करवा सकते हैं। यह डे-केयर प्रक्रिया है। जिसमें महिला को बार-बार अस्पताल नहीं आना पड़ता। प्रक्रिया से गुजरने के बाद महिला के अंडे व पुुरुष के स्पर्म को फ्रीज कर देते हैं। दोबारा प्रेग्नेंसी प्लान करने के लिए 2-3 साल बाद फिर से इसे गर्भ में ट्रांसफर कर देते हैं। दोबारा से की जाने वाली इस प्रक्रिया के लिए टैस्ट करवाने की जरूरत नहीं पड़ती।
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Chances of normal delivery नॉर्मल डिलीवरी की संभावना -
आईवीएफ से गर्भधारण के बाद बच्चे का सामान्य विकास व प्रसव होता है। अधिक उम्र या अन्य कारणों से कोई समस्या होने पर ही सिजेरियन की जरूरत पड़ती है।
आईवीएफ तकनीक एक विज्ञानिक उपलब्धि है जो मानव जीवन को नए दिशानिर्देश प्रदान करती है। इसके माध्यम से जन्म देने वाले बच्चे का जीवन न केवल उनके माता-पिता के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक अद्वितीय और रचनात्मक पहलु प्रस्तुत कर सकता है।
Published on:
21 Aug 2023 05:13 pm
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