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अफगानिस्तान में क्यों और कैसे आया जोरदार भूकंप ? भारत और पाकिस्तान पर क्या हुआ असर

Afghanistan Earthquake 2025:अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में 31 अगस्त 2025 को 6.0 तीव्रता का भूकंप आने से भारी नुकसान हुआ। भूकंप के पीछे टेक्टोनिक प्लेटों की टक्कर को कारण माना जा रहा है।

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भारत

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MI Zahir

Sep 01, 2025

Earthquake in Afghanistan

Earthquake in Afghanistan (Photo - Habib Khan on social media)

Afghanistan Earthquake 2025: अफगानिस्तान भूगर्भीय रूप से एक संवेदनशील इलाका है, क्योंकि यह भारतीय टेक्टॉनिक प्लेट और यूरेशियाई प्लेट के टकराव क्षेत्र में स्थित है। ये दोनों प्लेटें धीरे-धीरे एक-दूसरे की ओर खिसक रही हैं। जब इन प्लेटों के बीच तनाव ज़्यादा हो जाता है, तो धरती की सतह हिलती है और भूकंप (Afghanistan Earthquake 2025) आता है। इस क्षेत्र में कई सक्रिय फॉल्ट लाइनें मौजूद हैं, जैसे चमन फॉल्ट और पामीर थ्रस्ट, जो इसे और भी अस्थिर बनाती हैं। अफगानिस्तान के पूर्वी इलाकों क़ुनेर और नगरहार प्रांतों 31 अगस्त 2025 की रात करीब 11:47 बजे में जोरदार भूकंप (Earthquake in Afghanistan) महसूस किया गया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.0 मापी गई, जो कि मध्यम से लेकर गंभीर स्तर का झटका माना जाता है। इसका केंद्र ज़मीन के करीब था, जिससे कंपन का असर और भी तेज़ महसूस हुआ।

भूकंप से कितना हुआ नुकसान ?

इस प्राकृतिक आपदा ने कई परिवारों की ज़िंदगियों को उजाड़ दिया।

मरने वालों की संख्या: 800 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।

घायल लोग: 1,600 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए।

संपत्ति का नुकसान: सैकड़ों घर गिर गए, खासकर वे जो मिट्टी और ईंटों से बने थे। कई गांवों का नाम-ओ-निशान मिट गया।

भूस्खलन: ज़ोरदार झटकों की वजह से पहाड़ी इलाकों में ज़मीन खिसकी और रास्ते बंद हो गए, जिससे राहत कार्यों में बाधा आई।

क्या भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश पर भी पड़ा असर ?

पाकिस्तान: अफगान सीमा से लगे पाकिस्तान के कुछ हिस्सों—ख़ैबर पख़्तूनख़्वा और इस्लामाबाद तक—इस भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए।

भारत और बांग्लादेश: इन देशों में झटके नहीं महसूस किए गए, लेकिन चूंकि भारत भी हिमालयन टेक्टॉनिक जोन का हिस्सा है, ऐसे भूकंप भविष्य में खतरे का संकेत हो सकते हैं।

भविष्य में कैसे रोका जा सकता है बड़ा नुकसान ?

मजबूत और भूकंप-रोधी निर्माण तकनीक अपनाना ज़रूरी है।

ग्रामीण इलाकों में जागरूकता फैलाने और आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग देने की जरूरत है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आपदा प्रबंधन सिस्टम को और तेज़ करना होगा।

दुख, सदमा और मदद की अपील

अफगानिस्तान में आए इस भयानक भूकंप को लेकर दुनिया भर से संवेदनाएं जताई जा रही हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा, "यह मानवीय त्रासदी है, हम हर संभव मदद के लिए तैयार हैं।"

भारत के प्रधानमंत्री ने भी सोशल मीडिया पर शोक जताया और अफगान लोगों के साथ खड़े होने की बात कही।

पाकिस्तान सरकार ने तत्काल राहत सामग्री और मेडिकल टीम भेजने की घोषणा की है।

आम लोगों ने सोशल मीडिया पर #PrayForAfghanistan ट्रेंड कराया, जहाँ लोग अफगान नागरिकों के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं।

राहत कार्यों में चुनौती, अब भी दबे हैं लोग

भूकंप के दो दिन बाद भी कई इलाके ऐसे हैं जहाँ राहत दल अब तक नहीं पहुंच पाए हैं।

राहत एजेंसियों का कहना है कि भूस्खलन की वजह से कई रास्ते बंद हैं। हेलीकॉप्टर से राहत भेजने की कोशिश की जा रही है।

रेड क्रॉस और अन्य NGO अब पहाड़ी गांवों तक पहुंचने की योजना बना रहे हैं।

WHO और Doctors Without Borders ने मेडिकल सहायता भेजने की बात कही है।

ताजा चिंता यह है कि मलबे के नीचे अब भी सैकड़ों लोग फंसे हो सकते हैं। खोज अभियान तेज किया गया है।

क्या आने वाले समय में भारत भी खतरे में है ?

भले ही इस बार भारत में झटके महसूस नहीं हुए, लेकिन विशेषज्ञ इसे "एक चेतावनी" मान रहे हैं।

भूकंप विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान की तरह हिमालय बेल्ट भी लगातार सक्रिय है। उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, नेपाल और पूर्वोत्तर भारत पर भी बड़ा खतरा बना हुआ है।

NDMA (National Disaster Management Authority) के पूर्व अधिकारियों ने कहा कि, "हमें अपने पुराने भवनों की स्ट्रक्चर सेफ्टी को लेकर गंभीर होना होगा।"

भारत के कई शहर जो सिस्मिक जोन 4 और 5 में आते हैं, वहां तुरंत सर्वे और स्ट्रक्चरल टेस्टिंग की मांग हो रही है।

धरती का यह कंपन एक चेतावनी है

बहरहाल अफगानिस्तान में आया यह भूकंप सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि चेतावनी है कि दक्षिण एशिया का यह क्षेत्र गंभीर भूकंपीय खतरे में है। बेहतर तैयारियों, सुरक्षित निर्माण और समय पर राहत पहुंचाने वाली नीतियों से ही भविष्य में जान-माल का भारी नुकसान टाला जा सकता है।