
अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में आए तेज भूकंप के बाद का नजारा। फोटो: Muhammad Jalal
Afghanistan Earthquake 2025: बीती रात अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत कुनार में जब ज़मीन हिली (Afghanistan Earthquake), तो लोगों की ज़िंदगी का हर रिश्ता भी मानो कांप उठा। मलबों के नीचे दबे लोग चीख रहे थे, चिल्ला रहे थे और कोई भी एक दूसरे की मदद करने की हालत में नहीं दिखा। भूकंप सभी जगह आया था, जमीन सभी जगह हिली थी। अफगानिस्तान में आए भूकंप (Earthquake Death Toll)ने सबकुछ तबाह और बर्बाद कर दिया। यह भूकंप(Taliban Earthquake Response) लोगों को अरसे तक याद रहेगा । नजारा कुछ ऐसा था कि रिक्टर स्केल पर 6 तीव्रता वाले इस भूकंप ने केवल मकान नहीं गिराए, बल्कि परिवारों को भी तोड़ दिया। इस भयानक झटके का केंद्र जलालाबाद से महज़ 27 किलोमीटर दूर था। यह झटका इतना तीव्र था कि काबुल से लेकर पाकिस्तान तक महसूस किया गया।
कुनार जैसे रूढ़िवादी इलाकों में महिलाएं अब भी इलाज के लिए अस्पताल नहीं पहुंच पा रही हैं। स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि अस्पतालों में पुरुषों की भीड़ है, लेकिन महिलाएं या तो घर पर हैं या बचाव दल से संपर्क नहीं कर पा रही हैं। इससे पहले 2022 में भी देखा गया था कि महिलाओं को इलाज में देरी हुई थी, और तब जाकर अस्पतालों में उनकी संख्या बढ़ी थी।
कुनार के असदाबाद अस्पताल के डॉक्टर मुल्ला दाद के मुताबिक, हर पांच मिनट में एक घायल व्यक्ति अस्पताल लाया जा रहा है। स्टाफ की कमी और सुविधाओं की सीमाएं हालात को और गंभीर बना रही हैं। "अस्पताल पूरी तरह भर चुका है, और अब मरीजों को पास के नंगरहार अस्पताल में शिफ्ट किया जा रहा है।"
तालिबान सरकार के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने बताया कि अकेले कुनार में 2,500 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं। अभी तक 800 से अधिक मौतों की पुष्टि हो चुकी है और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। नंगरहार, लघमान और नूरिस्तान जैसे इलाके भी बुरी तरह प्रभावित हैं, जहां घरों के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को भी नुकसान हुआ है।
भूकंप की गहराई सिर्फ 8 किमी थी, जिससे सतह पर इसका असर बहुत ज़्यादा हुआ। आमा तौर पर अफगानिस्तान में ज़्यादातर घर कच्ची ईंटों और कमजोर निर्माण सामग्री से बने होते हैं, जो किसी भी झटके में गिर जाते हैं। भूस्खलन की वजह से कई रास्ते बंद हो चुके हैं, जिससे राहत और बचाव कार्य में भारी बाधा आ रही है।
तालिबान सरकार ने बताया कि कुछ क्षेत्रों तक केवल हेलीकॉप्टर से पहुंचा जा सकता है, क्योंकि भूस्खलन ने ज़मीनी रास्तों को बंद कर दिया है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों से मदद की अपील की गई है।
बहरहाल भूकंप के बाद अफगानिस्तान में ज़िंदगी मलबों के नीचे दबी है। लेकिन इन अंधेरी गलियों में भी लोग उम्मीद की किरण खोज रहे हैं – जैसे फ़रीदुल्लाह फ़ाज़ली, जो खुद बच गए लेकिन दूसरों की मदद के लिए क्लिनिक पहुंच गए।
संयुक्त राष्ट्र ने भूकंप पर गहरी संवेदना जताते हुए आपातकालीन सहायता भेजने का ऐलान किया है।
भारत, ईरान और चीन सहित कई देशों ने मानवीय मदद की पेशकश की है।
सोशल मीडिया पर #AfghanistanEarthquake ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग लगातार बचाव और राहत की अपील कर रहे हैं।
आम लोग और स्वयंसेवी संस्थाएं स्थानीय स्तर पर दवाइयों, कंबलों और खाद्य सामग्री के साथ मदद कर रहे हैं।
क्या अंतरराष्ट्रीय राहत टीमें भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच पाएंगी ?
महिला घायलों के इलाज में देरी पर तालिबान सरकार क्या प्रतिक्रिया देती है?
क्या तालिबान सरकार UN और NGO को स्वतंत्र रूप से काम करने की इजाज़त देगी?
आने वाले दिनों में क्या भूगर्भीय झटकों की पुनरावृत्ति का खतरा है?
"भूकंप के बाद भय और आतंक का माहौल था। हम सुबह तक सो नहीं पाए और घायल लोगों को खुद कंधे पर उठाकर अस्पताल पहुंचाया।'"
-फ़रीदुल्लाह फ़ाज़ली, असदाबाद, कुनार, स्थानीय नागरिक।
"कुनार के अस्पताल प्रमुख डॉ. मुल्ला दाद के मुताबिक, हर 5 मिनट में एक घायल अस्पताल पहुंच रहा है। स्थिति अभूतपूर्व है।"
-डॉ. मुल्ला दाद, अस्पताल प्रमुख,असदाबाद जिला अस्पताल।
Published on:
01 Sept 2025 05:34 pm
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