
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस। (फोटो: IANS.)
Sheikh Hasina: बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को दी गई मौत के सजा के बाद से ही तनाव भरा माहौल है। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था पर चिंताओं का हवाला देते हुए सभी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया को हसीना के बयानों की रिपोर्टिंग से बचने की चेतावनी दी है।
राजनीतिक विश्लेषकों और कई विदेशी पर्यवेक्षकों ने कहा कि हसीना पर आया फैसला न तो अप्रत्याशित है और न ही निष्पक्ष सुनवाई का परिणाम है। हसीना की पार्टी अवामी लीग के दसियों हजार नेता और कार्यकर्ता जेल में बंद हैं। जमानत याचिकाएं महीनों तक लंबित रहती हैं और जब कभी राहत मिलती है तो नए आरोप लगाकर दोबारा गिरफ्तारी की जाती है। बिगड़ती अर्थव्यवस्था, गृहयुद्ध जैसी स्थिति, रोजाना प्रदर्शन का पैटर्न दिखाता है कि बांग्लादेश पाकिस्तान की राह पर चल पड़ा है।
पाकिस्तान में तख्तापलट का इतिहास पुराना है। 1958 में सेना प्रमुख अयूब खान ने राष्ट्रपति इस्कंदर अली मिर्जा को सत्ता से हटाकर बागडोर संभाली। दूसरा तख्तापलट आर्मी चीफ जनरल जिया उल हक ने 1977 में प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो को हटाकर किया। 1979 में भुट्टो को फांसी हुई। 1999 में नवाज शरीफ की सरकार को जनरल परवेज मुशर्रफ ने उखाड़ फेंका। 2022 में अविश्वास प्रस्ताव लाकर इमरान खान को पद से हटाया गया।
पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था जैसा ही हाल बांग्लादेश का हो रहा है। हिंसा-आगजनी, पुलिस पर हमले वहां आम बात है। हसीना ने कहा है कि उनकी सरकार ने देश में बिजली और शिक्षा की पहुंच बढ़ाई और 15 वर्षों में 450% जीडीपी वृद्धि हासिल की जिससे करोड़ों लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे। यूनुस सरकार के पास ऐसी कोई उपलब्धि नहीं है।
विश्लेषकों का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियां- राजनीतिक प्रतिबंध, सुरक्षा बलों की कार्रवाई और इस्लामी कट्टरपंथ की बढ़ती भूमिका बांग्लादेश को गृहयुद्ध जैसे हालात में झोंक सकती हैं। यूनुस सरकार के आने के बाद भारत और बांग्लादेश के संबंध इतिहास में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। भारत-विरोधी इस्लामी तत्व एक्टिव हैं। पाकिस्तान से सैन्य गठजोड़ बढ़ रहा है।
Updated on:
19 Nov 2025 09:17 am
Published on:
19 Nov 2025 06:36 am
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